27 फ़रवरी, 2017

फागुन आते ही



 मंद मंद पवन चले
गेहूं की बालियाँ
लहराएं बल खाएं
खेतों में हलचल मचाएं
सांध्य सुन्दरी के आते ही
आदित्य लुकाछिपी खेले 
बालियों के पीछे से
खेले खेल संग उनके
आसमा भी हो जाए सुनहरा
साथ उनके खेलना चाहे
अपनी छाप छोड़ना चाहे
पर बालियाँ थकित चकित हो
अन्धकार को अपनाना चाहें
सोने का मन बनाएं
सूरज अस्ताचल को जाए
अन्धकार के स्वागत में
चन्दा तारे चमचमाएँ |
आशा

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