29 मई, 2018

बहुरूपिया


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देखो जा कर दरवाजा खोल
क्यूँ गली में मच रहा शोर
चटपट से दरवाजा खोला
झाँक कर देखा उसमें से
खड़ा हुआ था एक व्यक्ति
 भयानक रूप धरे
डरा रहा था बच्चों को
जल्दी से किया बंद दरवाजा
पूंछा उसने माँ से
आखिर है वह कौन ?
रोज नए रूप में सज कर आता  
कभी डाकिये का रूप धरता
तो कभी काली माता बन जाता
क्या उसका कोई नाम नहीं
 कोई उसे क्या  काम नहीं ?
माँ ने समझाया है उसका यही काम
तरह तरह के स्वांग बनाना
और सब को हंसाना 
यही है उसकी कमाई का जरिया
कहते है उसे बहुरूपिया |
आशा
 






































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