19 दिसंबर, 2018

मुस्कान

Muskaan के लिए इमेज परिणाम


  मुस्कान बहुत मंहगी पड़ती
जब दिल से  दुआ न  निकलती
ना शब्दों का आदान प्रदान
केवल अधरों पर मुस्कान |
वह भी केवल दिखावे की
जैसी दिखाई देती वैसी है नहीं
मन से निकली आवाज नहीं
ना ही आत्मीयता  का प्रभाव |
 अधरों में सहमी सिमटी 
 रहती एक  कैदी सी
 पहरा रहता आठों प्रहर
 कितनी लगती  लाचार बेबस |
सब की दृष्टि अलग होती
भोले बचपन की मुस्कान
है कितनी निश्छल निरापद  
मन मोहक छवि बालक की
मन झांकता उसमें से |
 व्यंगबाण पर आती मुस्कान  
मन का कपट झलकाती
किसी की गलतफहमी पर
या किसी की नादानी पर
तभी बहुत मंहगी पड़ती |
यह न जान पाता  कोई
मुस्कान तो मुस्कान है
अपने अंतर की हलचल का
सत्य ही बयान करती |
आशा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Your reply here: