हे अभिनन्दन वीर तुम्हारा स्वागत
ओज टपकता मुख मंडल पर
दिल से देते आशीष तुम्हें
हम ‘अभिनन्दन ‘
हम ‘अभिनन्दन ‘
करते हैं तुम्हारा स्वागत
शीश झुकाते
शीश झुकाते
वंदन करते भारत मां के
वीर सपूत ‘अभिनन्दन ‘ का
हर भारत वासी का जज्बा
काश तुम्हारे जैसा होता
गर्व से देश का सर उन्नत कर देता
धन्य है वह जननी
जिसने पाया तुम जैसा लाल
रोम रोम हुआ गौरान्वित माँ का
ऐसा बेटा अभिनन्दन आया
नमन करते नहीं
थकते ' हे अभिनन्दन ‘
तुम्हारी देश की सुरक्षा के प्रति
कर्ताव्य परायणता के बोध को देख
पलक तक न झपकाई
तुम्हारी एक झपक पाने को
बाघा बोर्डर पर टिकी रहीं नजरें
वीर सपूत के आने तक |
आशा
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (05-03-2019) को "पथरीला पथ अपनाया है" (चर्चा अंक-3265) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सच है ! ऐसे शूरवीर को पाकर देश सच में धन्य हुआ है ! अभिनन्दन का हो अभिनन्दन !
जवाब देंहटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद साधना |
हटाएंसूचाना हेतु आभार सर |
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