कान्हां संग राधा खेलें फाग
फागुन आया है
फागुन आया है
यादों की सौगात लिए
आया महीना फागुन का
रंगों में सराबोर होने का
आपस में प्यार बांटने का
रंग गुलाल लिए हाथों में
बच्चे ले पिचकारी आए
मनुहार की लगवालो रंग
न माने की बरजोरी
यूँ तो रंग से डर लगता है
पर रहता इन्तजार मनुहार का
अपनों का स्नेह पाने का
पर बहुत खालीपन है
किसी की याद कर के
इन्तजार रहा करता था
रंगों की होली का
गुजिया पपड़ी खाने का
एक साथ मिल कर
वे दिन बीते कल की बात हो गए
जाने कहाँ खो गए
बस यादों में बस कर रह गए |
आशा
आया महीना फागुन का
रंगों में सराबोर होने का
आपस में प्यार बांटने का
रंग गुलाल लिए हाथों में
बच्चे ले पिचकारी आए
मनुहार की लगवालो रंग
न माने की बरजोरी
यूँ तो रंग से डर लगता है
पर रहता इन्तजार मनुहार का
अपनों का स्नेह पाने का
पर बहुत खालीपन है
किसी की याद कर के
इन्तजार रहा करता था
रंगों की होली का
गुजिया पपड़ी खाने का
एक साथ मिल कर
वे दिन बीते कल की बात हो गए
जाने कहाँ खो गए
बस यादों में बस कर रह गए |
आशा
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 21.3.2019 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3281 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
सुप्रभात
हटाएंहोली की शुभ कामनाएं |
सूचना हेतु आभार |
ब्लॉग बुलेटिन टीम और मेरी ओर से आप सब को होली पर बधाइयाँ और हार्दिक शुभकामनाएँ |
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 20/03/2019 की बुलेटिन, " बुरा ना मानो होली है ! “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
सूचना हेतु आभार सर |
हटाएंसुप्रभात |होली की शुभकामनाएं |
जवाब देंहटाएंसूचना हेतु आभार |
बहुत खूब लिखा है आशा जी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद टिप्पणी के लिए |
हटाएंबहुत सुन्दर मनभावन रचना !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
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