जब रात स्वप्न
मन में से
आने जाने लगे
उन को मन में
बसने दिया जाए
कब तक उस पर निर्भर रहे
नही कहां जा सकता|
मन के अनुसार चला
आ सकता |
आशा सक्स्ना
जब रात स्वप्न
मन में से
आने जाने लगे
उन को मन में
बसने दिया जाए
कब तक उस पर निर्भर रहे
नही कहां जा सकता|
मन के अनुसार चला
आ सकता |
आशा सक्स्ना
यही भावनाएं उलझीं कवि की
रचना में
है इतनी शक्तिशाली उलझी
शब्द शैली
उसमें रही हमारे मन की
भावनाएं हमारे मन की भावनाए
है कवि की रचना इतनी शक्तिशाली
उस में रहरी हमारे मन की भावनाएं
जिनकी मन से कभी दूर नहीं
हो पाती
यही भावनाएं उलझी उसमें |
आशासे दूरना होना सहों सकी
भी दूर नहीं हो पाती
यही विषेशताहै कविता की
तभी चाहत रही आज के कावियों की |
आशा