Akanksha -asha.blog spot.com
15 नवंबर, 2009
दीपक
देश कहीं यदि घर बन जाये
और हमें मिले दीपक का जीवन
तब तम को हम दूर भगायें
दीपक से नश्वर हो जायें
पुनः देश को घर सा सजायें
दीवाली हर रोज मनायें ।
आशा
1 टिप्पणी:
Sadhana Vaid
16 नवंबर 2009 को 10:19 am बजे
बहुत खूबसूरत और आशावान कविता । इसी तरह सबको राह दिखाती रहिये ।
जवाब दें
हटाएं
उत्तर
जवाब दें
टिप्पणी जोड़ें
ज़्यादा लोड करें...
Your reply here:
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
बहुत खूबसूरत और आशावान कविता । इसी तरह सबको राह दिखाती रहिये ।
जवाब देंहटाएं