18 दिसंबर, 2009

मुक्तक

बस न केवल सड़क पर चलती है ,
आम आदमी के दिलों को जोड़ती है ,
कहीं कोई आये ,कहीं कोई जाये ,
वह तो मनोभावों को तोलती है |

आशा

2 टिप्‍पणियां:

  1. सभी अगर बस की तरह निर्वैयक्तिक हो जायें तो कितना अच्छा हो । अच्छा मुक्तक ।

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  2. धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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