मै हूँ एक छोटी पतंग
रंग बिरंगी प्यारी न्यारी
बच्चों के दिल की हूँ रानी
एक दिन की हूँ मेहमान |
सारे साल प्रतीक्षा रहती
ख़त्म हो गयी आज
छुटकी देती मुझको छुट्टी
मेरी डोर कहीं ना अटकी |
आसमान की लम्बी सैर
नहीं किसी से कोई बैर
बच्चों की प्यारी किलकारी
मन में भरती उमंग हजारी |
तरह-तरह के कितने रंग
कई सहेली मेरे संग
मुझ में भरती नई उमंग
मै हूँ एक नन्हीं पतंग |
ठुमक-ठुमक के आगे बढ़ती
फिर झटके से आगे जाती
कभी दाएं कभी बायें आती
जब चाहे नीचे आ जाती|
यदि पेच में फँस जाती
लटके झटके सब अपनाती
नहीं किसी से यूँ डर जाती
सारी तरकीबें अपनाती |
जब तक पेंच पड़ा रहता है
साँसत में दिल बड़ा रहता है
फिर डोर खींच अनजान नियंता
मुझको मुक्ति दे देता है |
मुक्त हो हवा के साथ मैं
विचरण करती आकाश में
मेरा मन हो जाता अंनग
मैं हूँ इक नन्हीं पतंग |
आशा
आसमान में पतंग के संग आनन्द और उमंग को भी उड़ान देती बहुत सुन्दर कविता । पढ़ कर आनन्द आ गया ।
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