Akanksha -asha.blog spot.com
02 फ़रवरी, 2010
क्षणिका
विदाई के क्षण होते भारी,
कुछ मीठी कुछ यादें खारी ,
सदा यही क्रम रहता जारी ,
प्रीत हमारी पर अनियारी |
1 टिप्पणी:
Sadhana Vaid
3 फ़रवरी 2010 को 9:16 am बजे
एक शाश्वत सत्य को दर्शाती सुन्दर पंक्तियाँ !
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एक शाश्वत सत्य को दर्शाती सुन्दर पंक्तियाँ !
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