31 मई, 2010

प्यार का बुखार

ऐसा कोई मापक न बना,

जो प्यार का बुखार उतार सके ,

कोई मानक पैमाना न हुआ ,

जो सही आकलन कर पाए |

विज्ञानं ने प्रगति कर ली है ,

मशीनें भी कई बना ली हैं

पर ऐसे उपकरण की खोज में ,

वह भी अभी तक असफल है |

अब तक कोई मशीन न बनी ,

जो प्यार की तीव्रता नाप सके ,

ऐसी कोई दवा न बनी,

जो प्यार का बुखार उतार सके |
मन में जिसने प्यार किया ,

और प्रगट न कर पाया ,

वह शायद सबसे असफल रहा ,

बाज़ी मार नहीं पाया |

जिसको प्यार जताना आया ,

उसने ही मीर मार लिया ,

पूरा-पूरा प्यार पाने का ,

केवल उसने ही अधिकार लिया |

इक तरफा प्यार प्यार नहीं होता ,

वह टिकाऊ भी नहीं होता ,

प्यार की आग में दोनों झुलसें ,

विरही मन दर-दर भटके ,

तब प्यार सोने सा तपता है ,

जीवन में खरा उतरता है ,

क्या होगा थर्मामीटर का ,

जब प्यार का बुखार उतर जाये ,

जब आँखों में प्यार छलकता है ,

समझने वाला ही समझता है ,

आँखें ही प्यार की भाषा समझती हैं ,

शायद प्यार का पैमाना होती हैं |



आशा







2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर रचना !!! आपकी रचना पर कुछ याद आया

    ' हमने देखी है उन आँखों की महकती खुशबू, हाँथ से छू के इसे रिश्तों का इल्जाम न दो। सिर्फ अहसास है ये, रूह से महसूस करो, प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई नाम न दो। ...,

    जवाब देंहटाएं
  2. प्यार का बेहतरीन फलसफा पढने को मिला आपकी रचना में ! प्यार एक तरफा हो या दोतरफा ! जता दिया जाए या अनकहा ही रह जाए उसकी नियति में व्यथा ही व्यथा है यह भी एक परम सत्य है ! सुन्दर रचना के लिए बधाई !

    जवाब देंहटाएं

Your reply here: