26 अगस्त, 2010

स्मृतियां


सुरम्य वादियों में
दौनों ओर वृक्षों से घिरी ,
है एक पगडंडी ,
फूल पत्तियों से लदी डालियाँ ,
हिलती डुलती हैं ऐसे ,
जैसे करती हों स्वागत किसी का ,
चारों ओर हरियाली ,
सकरी सी सफेद सर्पिनी सी ,
दिखाई देती पगडंडी ,
जाती है बहुत दूर टीले तक ,
एक परिचिता सी ,
पहुंचते ही उस तक ,
गति आ जाती है पैरों में ,
टीले तक खींच ले जाती है ,
कई यादें ताजी कर जाती है ,
लगता है टीला,
किसी स्वर्ग के कौने सा ,
और यादों के रथ पर सवार ,
हो कर कई तस्वीरें ,
सामने से गुजरने लगती हैं ,
याद आता है वह बीता बचपन ,
जब अक्सर यहाँ आ जाते थे ,
घंटों खेला करते थे ,
बड़े छोटे का भेद न था ,
केवल प्यार ही पलता था ,
कभी न्यायाधीश बन ,
विक्रमादित्य की तरह ,
कई फैसले करते थे ,
न्याय सभी को देते थे ,
जब दिखते आसमान में ,
भूरे काले सुनहरे बादल ,
उनमे कई आकृतियाँ खोज , ,
कल्पना की उड़ान भरते थे ,
बढ़ चढ कर वर्णन उनका ,
कई बार किया करते थे ,
छोटे बड़े रंग बिरंगे पत्थर,
जब भी इकठ्ठा करते थे ,
अनमोल खजाना उन्हें समझ ,
गौरान्वित अनुभव करते थे ,
खजाने में संचित रत्नों की ,
अदला बदली भी करते थे ,
बचपन बीत गया ,
वह लौट कर ना आएगा ,
वे पुराने दिन ,
चल चित्र से साकार हो ,
स्मृतियों में छा जाते हैं ,
वे आज भी याद आते हैं |
आशा

12 टिप्‍पणियां:

  1. कई बार किया करते थे ,
    छोटे बड़े रंग बिरंगे पत्थर,
    जब भी इकठ्ठा करते थे ,
    अनमोल खजाना उन्हें समझ ,
    गौरान्वित अनुभव करते थे ,

    बचपन की सुखद स्मृतियाँ ...आज भी याद आती हैं ..सुन्दर अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  2. बचपन की यादें मधुर होती हैं।
    जो स्मृति पटल पर स्थाई होती हैं।

    अच्छी कविता
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. मनमोहक रचना ! आपकी रचना पढ़ अपने खजाने के ना जाने कितने पत्थर, चूडियों के रंगीन टुकड़े, पंख और सूखे फूलों की पंखुरियों के खजाने याद आ गए ! बचपन की याद दिलाने के लिये धन्यवाद ! बहुत ही सुन्दर कविता !

    जवाब देंहटाएं
  4. आप की रचना 27 अगस्त, शुक्रवार के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपने सुझाव देकर हमें प्रोत्साहित करें.
    http://charchamanch.blogspot.com

    आभार

    अनामिका

    जवाब देंहटाएं
  5. आपकी कविता हमारे समृद्ध खजाने की याद दिला गयी ...!

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह ! सालों पीछे पंहुचाने में कामयाब रही आप ! शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  7. bahuut achchhi kavita hai mamiji. aap aise hi aur achchhi achchhi kavitayein likhte rahiyega.. aaj to hum dono ne kavita parhi hain

    जवाब देंहटाएं
  8. aapki yah kavita padhkar kaafi kuchh apna bachpan aur vah samay yaad aa gaya... shukriya.....

    muaafi chahunga aapke blog par shayad pahli baar pahuncha...... muaaf kar hi dengi is gadhe balak ko aisi ummeed hai.....

    जवाब देंहटाएं

Your reply here: