21 सितंबर, 2010

सम्मोहन

यह प्यार है अनजानों का ,
है अहसास चंद लम्हों का ,
कैसा अजीब सा आकर्षण ,
या है कोई सम्मोहन ,
मैने जब से उसे देखा है ,
मेरे उसके बीच रिश्ता क्या है ,
मैं नहीं जानता ,
पर जब भी देखता हूं उसे ,
कभी दूर से तो कभी पास से ,
सोचता हूं देख उसे ,
देखता ही रहूँ किसी तस्वीर की तरह ,
भूले से भी कोई छू न ले ,
कहीं मैली ना हो जाए ,
चाहता हूं यह सिलसिला,
अनवरत चलता रहे ,
है वह भी शायद मुझ जैसी ,
लटें मुंह पर बिखेरे ,
जब पास से गुजरती है ,
हल्का सा झटका दे उन्हें ,
स्मित हास्य से ,नयनों से ,
मुझे अंदर तक छू जाती है ,
पर एक शब्द भी नहीं कहती ,
मन में छिपी भावना को ,
ओंठों तक आने नहीं देती ,
आज तक कभी ,
आमना सामना न हुआ ,
शब्दों का आदान प्रदान न हुआ ,
पर बहुत गहराई तक ,
उतर गई है वह ,
मेरे मन के अंदर ,
हर ओर छा गई है ,
सावन की घटा बन कर ,
लगता है हम दौनों में ,
कोई अटूट रिश्ता है ,
और न जाने कब तक रहेगा ,
यदि है यह प्रेम का बंधन ,
मुझे भय है ,
यह स्थाई न होगा ,
इस पुष्प की सुगंध को ,
कहीं समय की आंधी ,
उड़ा न ले जाए ,
यह अधूरा ही न रह जाए ,
फिर वह ना जाने कहाँ होगी ,
मैं भी कहीं खो जाउंगा ,
तब आँखों की यह भाषा ,
दर्द का यह रिश्ता ,
बहुत दूर की बात होगी ,
हमारे अनजाने प्रेम की कहानी ,
न जाने कहाँ खो जाएगी ,
मैं इसे किस्मत कहूं या कुछ और ,
जहां भी गया ,
खाली हाथ ही आया हूं ,
इस वीराने में |
आशा

7 टिप्‍पणियां:

  1. आशा माँ,
    नमस्ते!
    अद्भुत, अतुल्य, अचूक!
    आशीष
    --
    बैचलर पोहा!!!

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  2. बहुत भावपूर्ण रचना ..नदी की तरह बहती सी

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  3. एक अटूट प्रेम का रिश्ता, एक सम्मोहन फिर भी एक डर, दर्द और छटपटाहट ........

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  4. अभिनव कविता ...........

    बाँच कर अच्छा लगा

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  5. बहुत बढ़िया ! कोमल अनुभूतियों की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ! बहुत अच्छी लगी यह रचना !

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  6. बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
    काव्य प्रयोजन (भाग-९) मूल्य सिद्धांत, राजभाषा हिन्दी पर, पधारें

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  7. प्रेम का रिश्ता तो अनमोल होता है .... बहुत कोमल मन से लिखी हुई रचना ... बेहतरीन ....

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