30 सितंबर, 2010

घुमक्कड़

हूं एक घुमक्कड़ ,
घूमना अच्छा लगता है ,
घना जंगल बहता झरना ,
घंटों वहाँ बैठे रहना ,
मन को शान्ति देता है ,
देखा जब दूरस्थ ग्राम ,
कच्ची पगडंडी पहुँच मार्ग ,
छोटे २ माटी के मकान ,
इच्छा हुई वहां जाऊं ,
अधनंगे खेलते बच्चे ,
रिक्त पड़ा शाला परिसर ,
साम्राज्य पंक का चारों ओर ,
निष्क्रीय बैठे शिक्षक ,
है कैसी दुर्दशा शिक्षा की ,
मन दुखित हुआ
और चल दिया ,
किसी नई जगह की तलाश में ,
जा पहुँचा कंजरों के गाँव में ,
चोरी डाका जिनका काम ,
पड़ने लिखने से दूर बहुत ,
अपना धंधा करते पसन्द ,
भय भीत सदा ही रहते हें ,
बच्चों को शाला भेजने में ,
होता वह दिन सौभाग्य का ,
जब कोई बच्चा शाला आता ,
है श्याम पट कोरा ,
ऐसा अवसर कभी न आया ,
कि 'आ ' भी कभी लिखा जाता ,
कोई नोनिहाल पढ़ने आता ,
कदम मेरे थकने लगते हें ,
फिर भी बढ़ता जाता हूं ,
कुछ नया देखने की चाह में ,
आ गया हूं नए ग्राम में ,
है दृश्य बड़ा मनोहर ,
लिपे पुते कच्चे मकान ,
बने हुए मांडने जिन पर ,
है यह आदिवासियों का ग्राम ,
हुआ बहुत शोषण उनका भी ,
पर अपने ढंग से जीते हें ,
शाम ढले सभी एकत्र हो ,
मनोरंजन में डूब जाते हैं ,
गायन वादन और नर्तन ,
थिरकते कदम ताल पर ,
मन उनमे खो जाता है ,
उनमे रमता जाता है ,
रुकना मानसिकता नहीं मेरी ,
एक ओर चल देता हूं ,
दूधिया प्रकाश में नहाता ,
एक शहर दिखाई देता है ,
जीवन है गतिमान यहाँ ,
बड़ी बड़ी अट्टालिकाएं ,
शरण स्थली लोगों की ,
हें सभी व्यस्त अपने अपने में ,
पर पास की झोपड पट्टी में ,
कई अपराध जन्म लेते हें ,
पनपते हें पलते हें ,
यह देख मन उचटने लगता है ,
फिरसे चलना चाहता हूं ,
कल कल करते जल प्रपात तक ,
बैठ जहां प्रकृति के आंचल में ,
फिरसे मनन करू उन सब पर ,
जो जैसे हें वही रहेंगे ,
या कोई परिवर्तन होगा ,
यदि शिक्षा पर ध्यान दिया जाए ,
शायद कोई परिवर्तन आए |
आशा

10 टिप्‍पणियां:

  1. बस इसी परिवर्तन की आशा में ..अच्छी प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  2. हूं एक घुमक्कड़ ,
    घूमना अच्छा लगता है ,
    घना जंगल बहता झरना ,
    घंटों वहाँ बैठे रहना ,
    मन को शान्ति देता है ,
    BILKUL SAHI KAHA HAI ASHA MAA

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...

    जवाब देंहटाएं
  4. यदि शिक्षा पर ध्यान दिया जाए ,
    शायद कोई परिवर्तन आए |
    परिवर्तन तभी संभव है।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति । एक सारगर्भित रचना के लिए बहुत-बहुत आभार! -: VISIT MY BLOG :- तपा सकेँ अगर सोना तो हृदय मेँ अगन होनी चाहिए।............गजल को पढ़कर अपने अमूल्य विचार व्यक्त करने के लिए आप सादर आमंत्रित हैँ। आप इस उपरोक्त लिँक पर क्लिक कर सकते हैँ।

    जवाब देंहटाएं
  6. जो जैसे हें वही रहेंगे ,
    या कोई परिवर्तन होगा ,
    यदि शिक्षा पर ध्यान दिया जाए ,
    शायद कोई परिवर्तन आए |
    --
    बहुत ही सारगर्भित रचना!

    जवाब देंहटाएं
  7. लीजिए जी हम भी आपके साथ साथ हर जगह घूम आये.
    सुंदर वर्णन
    सही सोच.

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही सुंदर पोस्ट.... जीवन आशाओं की झलक से परिपूर्ण ....

    जवाब देंहटाएं
  9. हमारे चिंतन करने से ही शिक्षा का प्रसार नहीं होगा ! हर शिक्षित व्यक्ति को कम से कम पाँच लोगों को साक्षर करने का बीड़ा उठाना होगा तभी परिवर्तन की कुछ गुंजाइश है ! Each one teach one. के नारे को बदल कर Each one teach five. का नारा बनाना होगा ! जन संख्या का प्रेशर भी तो है ना ! वैसे आप तो असंख्यों को पढ़ा चुकी हैं ! यह सन्देश औरों के लिये भी है ! सार्थक रचना ! बहुत बहुत बधाई एवं आभार !

    जवाब देंहटाएं
  10. वह था किस धर्म का ,
    चर्चा नहीं होती ,
    जमीन में दफनाया जाए ,
    या अग्निदाह किया जाए ,
    या बहा दिया जाए ,
    किसी जल धारा में ,
    क्या फर्क पडता है ,
    जाने वाला तो चला गया ,
    यह संसार छोड़ गया ,
    फिर जीते जी क्यूँ ,
    हों हंगामे इतने ,

    सार्थक रचना ! बहुत बहुत बधाई एवं आभार !

    .

    जवाब देंहटाएं

Your reply here: