है जीवन काँटों की बस्ती ,
जो भी इस में रहता है
,बच नहीं पाता उनसे ,
एक ना एक चुभ ही जाता है ,
सहन करना है बहुत कठिन ,
मिलता दंश जो उससे ,
कभी नहीं मिट पाता |
है जीवन दुखों का समुन्दर ,
यदि तैरना नहीं आता ,
कोई बाहर निकल नहीं पाता ,
तब डूब ही जाना है ,
व्यर्थ है हाथ पैर मारना |
हर ओर निराशा ही हो ,
आशा की किरण,
न दिखाई दे ,
हो छुपी कहीं गहरे में ,
उसकी एक झलक पा कर ,
जीवन हरा भरा होता है ,
पर है वह क्षणिक ,
उसमे यदि खो जाओ ,
स्वयं को भी भूल जाओ ,
ढेरों खुशियाँ आ सकती हें |
पर जीना केवल अपने लिए ,
है नहीं उचित किसी के लिए ,
है परोपकार भी आवश्यक ,
थोड़ा हित किसी का हो ,
तब उसमे है बुराई क्या |
जो कुछ भी करोगे,
वह यादों में रह जाएगा ,
जो किया अपने लिए,
उसे ना कोई जानेगा ,
ना ही तुम्हें पहचानेगा ,
तुम कृपण समझे जाओगे ,
यदि काम किसी के ना आओगे |
विहंगम द्रष्टि डाल कर देखो ,
जिसने भी परोपकार किया ,
छोड़ कर दुनिया भी चल दिया ,
पर दुनिया ने उसे,
बारम्बार याद किया ,
यथोचित सम्मान दिया |
आशा
विहंगम द्रष्टि डाल कर देखो ,
जवाब देंहटाएंजिसने भी परोपकार किया ,
छोड़ कर दुनिया भी चल दिया ,
पर दुनिया ने उसे,
बारम्बार याद किया ,
यथोचित सम्मान दिया |
आशा जी बिलकुल सही कहा। केवल अपने लिये जीना ही जीवन का लक्ष्य नही होना चाहिये। अच्छी लगी रचना। बधाई।
बहुत प्रेरक रचना।
जवाब देंहटाएंभारतीय एकता के लक्ष्य का साधन हिंदी भाषा का प्रचार है!
पक्षियों का प्रवास-१
सकारात्मक सन्देश प्रसारित करती एक सार्थक रचना ! शानदार रचना के लिये बधाई एवं आभार !
जवाब देंहटाएंसुन्दर संदेश देती सार्थक रचना।
जवाब देंहटाएंप्रेरक रचना
जवाब देंहटाएंबेहतर रचना। अच्छे शब्द संयोजन के साथ सशक्त अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंकविता का अन्त लाजवाब् है और मन को मोह लेता है ।
जवाब देंहटाएंसुख के बादल कभी न बरसे,
जवाब देंहटाएंदुख-सन्ताप बहुत झेले हैं।
जीवन की आपा-धापी में,
झंझावात बहुत फैले हैं!
--
वास्तव में ऐसा ही तो है जीवन!
--
सुन्दर रचना के लिए बधाई!
2.5/10
जवाब देंहटाएंसाधारण लेखन
सुन्दर भाव
very nice.
जवाब देंहटाएंjeevan anubhavon ka naam hai,so kya kante kya phool,please always be cool...
cbjainbigstar.blogspot.com
Aap jaise logon ko hamare sanskriti sanrakshan aur sanskar pallawan abhiyan se judna chahiye
अचॆ रचना सो कुछ अच्छा करने को प्रेरित करती है।
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति. अच्छा प्रस्तुतिकरण. बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत प्रेरणादायी रचना है, आपका आभार एवं नमन!
जवाब देंहटाएंअच्छा लिखती है
जवाब देंहटाएंकुछ रचनाएं पुनः पढने को प्रेरित करती हैं। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंपक्षियों का प्रवास-२, राजभाषा हिन्दी पर
फ़ुरसत में ...सबसे बड़ा प्रतिनायक/खलनायक, मनोज पर
अच्छा संदेश ।
जवाब देंहटाएंउस्ताद जी की टिप्पणी सटीक ज रही है।
जवाब देंहटाएं---सच है आशाजी ,"काजल की कोठरी में,कितनो हू सयानो जाय।
एक लीक काजल की लागिहै तो लागिहै।"---पर इस डर से हम अच्छे कर्म करना तो नहीं छोड सकते---ये ही अन्ततः काम आते हैं---अच्छे कर्म कभी व्यर्थ नहीं जाते।
आशाजी,
जवाब देंहटाएं" कबीर कूता राम का मुतिया मेरा नाम ।
गले राम की जेबडी, जित खैंचै तित जाउं।----अच्छा लगा सुनकर आपके ब्लोग पर स्वीकारोक्ति, कि आप डाक्टर बनना चाहतीं थीं और एकोनोमिस्ट बन गयी।--"man praposes god disposes"
---यह कोई निराशावाद, अन्धविश्वास, आत्मविश्वास की कमी , भाग्यवाद आदि नहीं है, जो शायद तमाम लोग कहें ,परन्तु होता सदा एसा ही है। कर्म से भाग्य बनता है पर --भाग्य में होने पर ही मानव वह कर्म कर पाता है।----और भाग्य में क्या है कोई नही जानता- ज्योतिषी भी नहीं , न जाने हुए पर विश्वास करना..?????
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर आने के लिए आप सब का आभार |
जवाब देंहटाएंआशा
जिंदगी के अंधेरे समयों में उम्मीद का दिया जलाए रखें और अपने दुखों को भूल कर परोपकार को जीने का मूल मंत्र बना कर आगे बढ़ते रहें. इन गहन संवेदनाओं से परिपूर्ण संदेश को बेहद खूबसूरती से पिरोया गया है. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर
डोरोथी.
सकारात्मक सन्देश, सार्थक रचना ..... बधाई .....
जवाब देंहटाएं