नहीं होता जीवन एक रस
कभी सरस तो कभी नीरस
जब होता जीवन संगीत मय
हँसी खुशी रहती है
तभी जन्म ले पाती हैं
राग रागिनी और मधुर धुनें
जब हो जाता जीवन अशांत
थम जाता मधुर संगीत
धुनें या तो बनती ही नहीं
बन भी जायें यदि
मधुरता हो जाती गुम
समय के साथ-साथ
होते परिवर्तन दोनों में
समय निर्धारित है
हर राग गाने का
सही समय पर गाया जाये
तभी मधुर लगता है
बेसमय गाया राग
कर्ण कटु लगता है
समानता दोनों में है
पर है एक अन्तर भी
जीवन तो क्षणभंगुर है
संगीत स्थाईत्व लिये है
प्रकृति के हर कोने में
बिखरा पड़ा है संगीत
है यह मानव प्रकृति
उसे किस रूप में अपनाए
अपने कितने निकट पाए
सृजन संगीत का
समय के साथ होता जाता है |
आशा
सही कहा है ..हमेशा एक सी बात सरस नहीं लगती ..तभी तो आज कल मुन्नी और शीला धूम मचा रही हैं
जवाब देंहटाएंaasaa ji, jaisaa naam vaisaa gun. sundar kavita, ek sandesh, ek satya. vadhaai. harendra
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना। विचारणीय मुद्दा।
जवाब देंहटाएंप्रकृति के हर कौने मै ,
जवाब देंहटाएंबिखरा पड़ा है संगीत ,
है यह मानव प्रकृति ,
उसे किस रूप मै अपनाता है ,,
अपने कितने निकट पाता है ....
जीवन भी ऐसा ही है ...कैसे कौन जीता है ...
सुन्दर आशावादी कविता ...
आभार !
बहुत सुन्दर रचना ! जीवन में संगीत भी तभी मधुर और सुखदायी लगता है जब परिस्थितियाँ अनुकूल होती हैं अन्यथा मधुर से मधुर राग भी कोलाहल सा लगता है !
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता.. मन को छूती हुई.. प्रेरणा देती हुई
जवाब देंहटाएंप्रेरणा देती हुई सुन्दर कविता........आशा माँ
जवाब देंहटाएंसाथ हैं केवल यादें ,
जवाब देंहटाएंजो बार बार साकार हो ,
स्मृति पटल पर,
रखी किताब के ,
पिछले पन्ने खोल देती हैं
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यादों को लेकर मनोभावों का बढ़िया विश्लेषण किया है आपने!