04 जनवरी, 2011

कुछ विचार बिखरे बिखरे

(१)
वह राज़ क्या ,
उसका अंदाज़ क्या ,
जिसे जानने की उत्सुकता न हो |
(२)
वह साज़ क्या ,
उसकी मधुरता क्या ,
जिसे सुनने की चाहत न हो |
(३)
वह रूप क्या ,
उसका सौंदर्य क्या ,
जिसे देखने की तमन्ना न हो |
(४)
वह प्रश्न क्या ,
उसका महत्व क्या ,
जिसका केवल एक उत्तर न हो |
(५)
वह समाज क्या ,
उसका वजूद क्या ,
जिसमे सामंजस्य की क्षमता न हो |
(६)
हो अपेक्षा उससे कैसी ,
जो वक्त पर काम न आये ,
हृदय की भावना भी न पहचान पाये |
(७)
होता सच्चा प्यार वही,
जो पहली नज़र में हो जाये ,
और दोनों को ही रास आये |
(८)
है स्वप्न सच्चा वही,
जो साकार तो हो ,
पर डरा कर ना जाये |
(९)
है दुश्मन वही ,
जो पूरी दुश्मनी निभाये ,
दे चोट ऐसी कि ज़िंदगी के साथ जाये |


आशा

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर, मनन योग्य लिखा है आपने ! आप अच्छा लिखती हैं ! शुभकामनायें !

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  2. हर विचार तर्कसंगत और गहरा है ! बहुत बढ़िया ! लिखती रहिये और हमें इसी तरह संस्कारित करती रहिये ! आभार एवं शुभकामनायें !

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  3. आदरणीय आशा माँ
    नमस्कार !
    ...............गहरा विचार है !

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  4. कमाल का लेखन है……………बेहद उम्दा लेखन्।

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  5. है दुश्मन वही ,
    जो पूरी दुश्मनी निभाए ,
    दे चोट ऐसी कि जिंदगी के साथ जाए ...

    ऐसे दुश्मन हमेशा याद रहते हैं ... बहुत अच्छा लिखा है ..... आपको और परिवार में सभी को नव वर्ष मंगलमय हो ...

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