08 फ़रवरी, 2011

दम्भ

कठिन होता है
बिना सुविधाओं के रहना,
पर असंभव नहीं |
परन्तु जीना होता असंभव
आवश्यकताओं की पूर्ति बिना ,
है यह केवल दम्भ
जी सकते हैं अर्थ के बिना ,
पार कर सकते हैं कठिन डगर
आवश्यकताएं पूरी हुए बिना |
यही दम्भ उन्हें
ऊपर उठने नहीं देता ,
जो सोचते हैं करने नहीं देता ,
वे केवल सोचते हैं
आदर्शों की बात करते हैं ,
कल्पना जगत में विचरते हैं ,
कर कुछ नहीं सकते |
झूठा घमंड उन्हें
बड़बोला ही बना पाता है ,
वे अभावों में जीते हैं
तिल -तिल क्षय होते हैं |
ऊँची सोच बड़ी बातें
लगती पुस्तकों में ही अच्छी |
हैं वे सच्चाई से दूर बहुत,
जो कुछ प्राप्त नहीं कर पाते,
कई कहानियां सुनाते हैं
हो दम्भ से सराबोर |
यह तक भूल जाते हैं
कि होता प्रयत्न आवश्यक
कोई कार्य करने के लिए
सफलता पाने के लिए |
वह भी यदि सफल हो
और सही राह दिखाई दे
तभी राह
पर चलना
सहज हो पाता है
आगे बढ़ने के लिए |

आशा







9 टिप्‍पणियां:

  1. प्रयत्न आवश्यक
    कोई कार्य करने के लिए
    सफलता पाने के लिए |

    bahut sunder
    aapkaa aabhar man ko chu liya

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  2. बहुत ही प्रेरक और सार्थक रचना ! कामना है इसे पढ़ कर सबके मनों में उत्साह का आलोक जगमगाए और सबके लिये उन्नति का मार्ग प्रशस्त हो ! सुन्दर रचना के लिये बधाई !

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  3. कठिन होता है बिना सुविधाओं के रहना मगर असंभव नहीं ...
    यदि यह बात सब समझ ले तो बेकारी , अव्यवस्था , भ्रष्टाचार सब समाप्त हो जाएँ ...
    अच्छी कविता !

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  4. आदरणीय आशा माँ
    नमस्कार !
    .........बहुत ही प्रेरक और सार्थक रचना !

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