मेहनतकश हैं
धूप में करते काम
श्रमकण उभरते माथे पर
फिर भी नहीं करते आराम |
सड़क के किनारे
कच्चे झोंपड़ों में
रहते गुदड़ी के लाल
काटते रात उन्मुक्त आकाश तले |
रहते प्रकृति के सानिध्य में
सुबह चूल्हे पर बनी रोटी
कच्ची प्याज मिर्च दाल या सब्जी
देती पेट को आधार |
पूरे दिन की कठिन मेहनत
उससे मिलते चंद सिक्के
और संतुष्टि
ले जाती गहरी नींद की बाहों में |
वे हैं शायद बहुत सुखी
समस्त व्याधियों से दूर
किसी जिम में नहीं जाते
कोई दवा नहीं खाते |
लगते हैं पोस्टर श्रम के महत्व के
या प्राकृतिक चिकित्सा के
मुझे तो लगते सन्देश वाहक
शारीरिक श्रम के महत्त्व के |
आशा
श्रमकण उभरते माथे पर
फिर भी नहीं करते आराम |
सड़क के किनारे
कच्चे झोंपड़ों में
रहते गुदड़ी के लाल
काटते रात उन्मुक्त आकाश तले |
रहते प्रकृति के सानिध्य में
सुबह चूल्हे पर बनी रोटी
कच्ची प्याज मिर्च दाल या सब्जी
देती पेट को आधार |
पूरे दिन की कठिन मेहनत
उससे मिलते चंद सिक्के
और संतुष्टि
ले जाती गहरी नींद की बाहों में |
वे हैं शायद बहुत सुखी
समस्त व्याधियों से दूर
किसी जिम में नहीं जाते
कोई दवा नहीं खाते |
लगते हैं पोस्टर श्रम के महत्व के
या प्राकृतिक चिकित्सा के
मुझे तो लगते सन्देश वाहक
शारीरिक श्रम के महत्त्व के |
आशा
आदरणीय आशा माँ
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
महनत कश हैं
धुप में करते काम
श्रमकण उभरते माथे पर
फिर भी नहीं करते आराम |
एक सशक्त रचना ! बधाई एवं शुभकामनायें !
श्रमिक का सुन्दर चित्र खींचा है आपने!
जवाब देंहटाएं--
श्रमकण मोती से सजे, किन्तु काम से काम।
मेहनतकश को धूप में, मिल जाता आराम।।
--
आज की जीवन शैली पर प्रहार करती एवं श्रम के महात्म्य को स्थापित करती एक सारगर्भित रचना ! बहुत बढ़िया ! बधाई एवं शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंnamaskar ji
जवाब देंहटाएंmajdoor ki mehnat baya karti shandaar kawita
namaskar ji
जवाब देंहटाएंmajdoor ki mehnat baya karti shandaar kawita
bahut sundar tareeke se majdoor ki mehnat ko bataya
जवाब देंहटाएंब्लॉग लेखन को एक बर्ष पूर्ण, धन्यवाद देता हूँ समस्त ब्लोगर्स साथियों को ......>>> संजय कुमार
लगते हैं पोस्टर श्रम के महत्व के
जवाब देंहटाएंया प्राकृतिक चिकित्सा के
मुझे तो लगते सन्देश वाहक
शारीरिक श्रम के महत्त्व के |
बहुत सुन्दर और श्रम के महत्त्व को समझाती रचना.
सलाम.
pasine kee bunde aur aapki gahan abhivyakti...prabhawshali
जवाब देंहटाएंश्रम की व्यथा को सुन्दर शब्द दिए...बेहतरीन भावाभिव्यक्ति...शानदार !!
जवाब देंहटाएंमहनत कश हैं
जवाब देंहटाएंधुप में करते काम
beautiful poem
मुझे तो लगते सन्देश वाहक
जवाब देंहटाएंशारीरिक श्रम के महत्त्व के |
सीधे सादे शब्दों में सुंदर कविता के लिय धन्यवाद !
बहुत सशक्त अभिव्यक्ति...श्रम की रोटी का तो स्वाद ही अनोखा होता है..बहुत प्रेरक प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंआपलोगों का बहुत बहुत धन्यवाद ब्लॉग पर आकार प्रोत्साहित करने के लिए
जवाब देंहटाएंआशा
सशक्त रचना ..प्रेरक प्रस्तुति.धन्यवाद.
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