25 फ़रवरी, 2011

कलाकार

घुंघराले केश ,कशिश आँखों में
है वह कौन
जो अक्सर दिखाई देता है
किसी ना किसी आयोजन में
अनजाना लगता है
पर रहता विशिष्ट हर महफिल में |
उसकी सूरत ,मधुर आवाज और सीरत
करते आकर्षित उस ओर
उसे महत्त्व मिलता है हर सम्मलेन में |
वह गायन से या वायलिन वादन से
जलवे बिखेरता हर महफिल में
कुछ ऐसी छाप छोडता है
कमीं न होती प्रशंसकों की |
तालियों का सिलसिला जब भी चलता
दुगुना उत्साह उसमें भरता
है वह एक कलाकार उस बैंड का
जो आये दिन बुलाया जाता है
किसी न किसी आयोजन में
है वह जन्म जात कलाकार
पा कर आया है आशीष
माँ शारदे के कर कमलों का |

आशा


7 टिप्‍पणियां:

  1. 'vishisht hai jo mehphil me 'kalakar hi kalakar ko pahachanta hai.
    bahut sundar abhivykti hai.

    जवाब देंहटाएं
  2. यही वादक हर उत्सव को मोहक बनते हैं ...अच्छी प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर सरल और स्पष्ट रचना
    बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  4. जो आये दिन बुलाया जाता है
    किसी न किसी आयोजन में
    है वह जन्म जात कलाकार
    पा कर आया है आशीष
    माँ शारदे के कर कमलों का |

    सुंदर सरल ....प्रभावी अभिव्यक्ति....

    जवाब देंहटाएं
  5. माँ शारदे की एक अनन्य भक्त के द्वारा एक अन्य कलाकार बंधु को अत्यंत सुन्दर भावांजलि ! बधाई एवं शुभकामनायें !

    जवाब देंहटाएं
  6. आदरणीय आशा माँ
    नमस्कार !
    सुंदर सरल सशक्त रचना ! बधाई एवं शुभकामनायें !

    जवाब देंहटाएं

Your reply here: