होती है कितनी कसक
जब कोई साथ नहीं देता
बेगानों सा व्यहार उसका
मन उद्विग्न कर जाता |
कई समस्याएँ हैं जीवन में
उन से जूझ नहीं पाता
जब तन मन साथ नहीं देता
निराशा से घिरता जाता |
उम्र के इस मोड़ पर
नहीं होता चलना सरल
लम्बी कतार उलझनों की
पार पाना नहीं सहज |
हमराही का साथ पा
मानसिक बल मिलता है
ह्रदय मैं उठी वेदना
कुछ तो कम हों सकती है |
पीछे मुड कर देखना
उसे ओर बढ़ावा देता है
पर अक्षमता का अहसास
मन विचलित कर देता है |
जीवन अकारथ लगता है
बढ़ता जाता बोझ पृथ्वी पर
मन बोझ तले दब जाता है
असंतोष घर कर जाता है |
आँसुओं का उमढ़ता सैलाब
थमने का नाम नहीं लेता
वेदना ओर बढ़ जाती है
वह चिर विश्रांति चाहता है |
आशा
जब कोई साथ नहीं देता
बेगानों सा व्यहार उसका
मन उद्विग्न कर जाता |
कई समस्याएँ हैं जीवन में
उन से जूझ नहीं पाता
जब तन मन साथ नहीं देता
निराशा से घिरता जाता |
उम्र के इस मोड़ पर
नहीं होता चलना सरल
लम्बी कतार उलझनों की
पार पाना नहीं सहज |
हमराही का साथ पा
मानसिक बल मिलता है
ह्रदय मैं उठी वेदना
कुछ तो कम हों सकती है |
पीछे मुड कर देखना
उसे ओर बढ़ावा देता है
पर अक्षमता का अहसास
मन विचलित कर देता है |
जीवन अकारथ लगता है
बढ़ता जाता बोझ पृथ्वी पर
मन बोझ तले दब जाता है
असंतोष घर कर जाता है |
आँसुओं का उमढ़ता सैलाब
थमने का नाम नहीं लेता
वेदना ओर बढ़ जाती है
वह चिर विश्रांति चाहता है |
आशा
पीड़ित मन कि वेदना ...अच्छी प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंहोती है कितनी कसक
जवाब देंहटाएंजब कोई साथ नहीं देता..
बहुत अच्छी कविता ..
शुभकामनाये
मन के द्वन्द को बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति दी है ! एक सारगर्भित एवं भावपूर्ण प्रस्तुति ! बधाई एवं शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण प्रस्तुति ! सुन्दर रचना ,आभार .
जवाब देंहटाएंjab apne sath ho to sharir ki har kamjori ko insan bhul jata he apne ko kabhi ashay na samghe ap hamari prerna he
जवाब देंहटाएंआपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (26.02.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.uchcharan.com/
जवाब देंहटाएंचर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
charan sparsh naniji...
जवाब देंहटाएंhumari pyaari naniji aap hum sabhi ki prerna hai or aapki kavitaye humari prernastrote...
गहरी वेदना है आपकी कविता में.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब अभिव्यक्ति.
सलाम.
congrates!!mujhe bahut acche lagi
जवाब देंहटाएंbehad bhawpurn.
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण ... सुन्दर रचना....
जवाब देंहटाएंआदरणीय आशा दी ,
जवाब देंहटाएंबहुत ही घनीभूत पीडा ,मन को और भी भारी कर गयी ...
एक सारगर्भित एवं भावपूर्ण प्रस्तुति|धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंउम्र के इस मोड़ पर
जवाब देंहटाएंनहीं होता चलना सरल
लम्बी कतार उलझनों की
पार पाना नहीं सहज .....
बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना ! शुभकामनायें एवं साधुवाद !
आदरणीय आशा माँ
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
.शब्दों को चुन-चुन कर तराशा है आपने ...प्रशंसनीय रचना।