25 फ़रवरी, 2011

कसक

होती है कितनी कसक
जब कोई साथ नहीं देता
बेगानों सा व्यहार उसका
मन उद्विग्न कर जाता |
कई समस्याएँ हैं जीवन में
उन से जूझ नहीं पाता
जब तन मन साथ नहीं देता
निराशा से घिरता जाता |
उम्र के इस मोड़ पर
नहीं होता चलना सरल
लम्बी कतार उलझनों की
पार पाना नहीं सहज |
हमराही का साथ पा
मानसिक बल मिलता है
ह्रदय मैं उठी वेदना
कुछ तो कम हों सकती है |
पीछे मुड कर देखना
उसे ओर बढ़ावा देता है
पर अक्षमता का अहसास
मन विचलित कर देता है |
जीवन अकारथ लगता है
बढ़ता जाता बोझ पृथ्वी पर
मन बोझ तले दब जाता है
असंतोष घर कर जाता है |
आँसुओं का उमढ़ता सैलाब
थमने का नाम नहीं लेता
वेदना ओर बढ़ जाती है
वह चिर विश्रांति चाहता है |

आशा



15 टिप्‍पणियां:

  1. पीड़ित मन कि वेदना ...अच्छी प्रस्तुति ...

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  2. होती है कितनी कसक
    जब कोई साथ नहीं देता..
    बहुत अच्छी कविता ..
    शुभकामनाये

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  3. मन के द्वन्द को बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति दी है ! एक सारगर्भित एवं भावपूर्ण प्रस्तुति ! बधाई एवं शुभकामनायें !

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  4. भावपूर्ण प्रस्तुति ! सुन्दर रचना ,आभार .

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  5. jab apne sath ho to sharir ki har kamjori ko insan bhul jata he apne ko kabhi ashay na samghe ap hamari prerna he

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  6. आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (26.02.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.uchcharan.com/
    चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

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  7. charan sparsh naniji...
    humari pyaari naniji aap hum sabhi ki prerna hai or aapki kavitaye humari prernastrote...

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  8. गहरी वेदना है आपकी कविता में.
    बहुत खूब अभिव्यक्ति.
    सलाम.

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  9. आदरणीय आशा दी ,
    बहुत ही घनीभूत पीडा ,मन को और भी भारी कर गयी ...

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  10. एक सारगर्भित एवं भावपूर्ण प्रस्तुति|धन्यवाद|

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  11. उम्र के इस मोड़ पर
    नहीं होता चलना सरल
    लम्बी कतार उलझनों की
    पार पाना नहीं सहज .....

    बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना ! शुभकामनायें एवं साधुवाद !

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  12. आदरणीय आशा माँ
    नमस्कार !
    .शब्दों को चुन-चुन कर तराशा है आपने ...प्रशंसनीय रचना।

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