तेरे मन के अन्दर
है ऐसा आखिर क्या |
जो कोइ नहीं देखता
तुझे नहीं जानता |
हल्की सी छाया दिखती
तेरा वजूद जताती |
तूने भी न पहचाना
पर मैं उसे देख पाया |
देखा तो तूने भी उसे
पर अनदेखा किया |
मुँह और फेर लिया
यह क्या उचित था |
यदि उलझन नहीं
है क्या यह बेचारगी |
तू कितना सोचती है
अंतस में खोजना |
तभी तो जान पाएगी
कुछ कहना सुनाना |
फिर सोचना गुनना
सक्षम तभी होगी |
अपने को समझेगी
ख़ुद को पा जाएगी |
चमकेगी चहकेगी
रूठी ना रहेगी |
आशा
है ऐसा आखिर क्या |
जो कोइ नहीं देखता
तुझे नहीं जानता |
हल्की सी छाया दिखती
तेरा वजूद जताती |
तूने भी न पहचाना
पर मैं उसे देख पाया |
देखा तो तूने भी उसे
पर अनदेखा किया |
मुँह और फेर लिया
यह क्या उचित था |
यदि उलझन नहीं
है क्या यह बेचारगी |
तू कितना सोचती है
अंतस में खोजना |
तभी तो जान पाएगी
कुछ कहना सुनाना |
फिर सोचना गुनना
सक्षम तभी होगी |
अपने को समझेगी
ख़ुद को पा जाएगी |
चमकेगी चहकेगी
रूठी ना रहेगी |
आशा
तू कितना सोचती है
जवाब देंहटाएंअंतस में खोजना |
तभी तो जान पाएगी
कुछ कहना सुनाना |
फिर सोचना गुनना
सक्षम तभी होगी |
अपने को समझेगी
ख़ुद को पा जाएगी |
चमकेगी चहकेगी
रूठी ना रहेगी
गहन विचार से अताप्रोत है आपके शब्द बधाई
सकारात्मक ऊर्जा और सार्थक संदेश से भरी एक प्रेरक रचना ! बहुत सुन्दर ! बधाई एवं शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंतू कितना सोचती है
जवाब देंहटाएंअंतस में खोजना |
तभी तो जान पाएगी
कुछ कहना सुनाना |
फिर सोचना गुनना
सक्षम तभी होगी |... aapke naam ke anurup rachna
अन्तस में खोजने पर ही जान पायेगा और अन्तस में खोज लेने के पश्चात ही व्यक्ति अपने को समझने में सक्षम हो जाता है फिर जीवन अपने आप चमत्कृत होने लगता है फिर आपदा विपत्ति को सहने की क्षमता आजाती है लेकिन अन्तस में खोजने से आदमी डरता है। ""जिन खोजा तिन पाइयां गहरे पानी पैठ ,,हौ बौरी डूबन डरी रही किनारे बैठ ""
जवाब देंहटाएंvery nice !!
जवाब देंहटाएंit was a pleasure to read this.
Introspection is must for a healthy life.
सार्थक संदेश से भरी एक प्रेरक रचना| बधाई|
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक रचना!
जवाब देंहटाएंsarthak lekhan.
जवाब देंहटाएंआश जी, सचमुच बहुत प्यारी कविता लिखी है आपने। बधाई।
जवाब देंहटाएं---------
सीधे सच्चे लोग सदा दिल में उतर जाते हैं।
बदल दीजिए प्रेम की परिभाषा...
सार्थक रचना....बधाई.
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