कई कथानक कई कहानियां
पढ़ी सुनी और मनन किया
पर हर कहानी अधूरी लगी
थी अच्छी फिर भी कहीं कमी थी |
जीवन के किसी एक पक्ष को
करती है वह उजागर
पर जो भी कहा जाता है
पूरे जीवन का सत्व नहीं है |
अनगिनत घटनाएं
होती रहती हैं
कुछ तो यादगार होती हैं
भुला दिया जाता कुछ को |
कभी अच्छी लगती हैं
आघात कभी दे जाती हैं
यदि बहुत विचार किया
मन चंचल कर जाती हैं |
अंत जीवन का हो
या कहानी का
जब भी लिखा जाए
अधूरा ही रह जाता है |
कितना भी विचार कर
लिखा जाए
आगे और भी
लिखा जा सकता है |
इसी लिए लगता है
हर कहानी चाहे जैसे लिखी जाए
उसके आगे और भी
लिखा जा सकता है |
आशा
पढ़ी सुनी और मनन किया
पर हर कहानी अधूरी लगी
थी अच्छी फिर भी कहीं कमी थी |
जीवन के किसी एक पक्ष को
करती है वह उजागर
पर जो भी कहा जाता है
पूरे जीवन का सत्व नहीं है |
अनगिनत घटनाएं
होती रहती हैं
कुछ तो यादगार होती हैं
भुला दिया जाता कुछ को |
कभी अच्छी लगती हैं
आघात कभी दे जाती हैं
यदि बहुत विचार किया
मन चंचल कर जाती हैं |
अंत जीवन का हो
या कहानी का
जब भी लिखा जाए
अधूरा ही रह जाता है |
कितना भी विचार कर
लिखा जाए
आगे और भी
लिखा जा सकता है |
इसी लिए लगता है
हर कहानी चाहे जैसे लिखी जाए
उसके आगे और भी
लिखा जा सकता है |
आशा
भुला दिया जाता कुछ को |
जवाब देंहटाएंकभी अच्छी लगती हैं
आघात कभी दे जाती हैं
यदि बहुत विचार किया
मन चंचल कर जाती हैं |
वाह.....आपकी इस खूबी को सलाम है शब्दों में इतनी गहराई उंडेल देती है .....बहुत खूब
बहुत अच्छी लगी आपकी यह कविता.
जवाब देंहटाएं-----------------------------------------------
आपका स्वागत है "नयी पुरानी हलचल" पर...यहाँ आपके ब्लॉग की किसी पोस्ट की कल होगी हलचल...
नयी-पुरानी हलचल
धन्यवाद!
सच में चाहे जीवन की कहानी हो या डायरी में लिखी गयी कहानी हो हमेशा ऐसा ही लगता है कि इसका अंत बदला जा सकता है ! कहानी सदैव अधूरी ही लगती है ! बहुत भावपूर्ण एवं सुन्दर कविता ! बधाई !
जवाब देंहटाएंlovely !!!
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण एवं सुन्दर कविता| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंहर कहानी चाहे जैसे लिखी जाए
जवाब देंहटाएंउसके आगे और भी
लिखा जा सकता है
क्योंकि एक कहानी खत्म तो दूसरी शुरू हो जाती है
aanshik roop se sahmat hun.....
जवाब देंहटाएंकहानी का कहीं न कहीं अंत करना ही पड़ता है ...वरना तो अनंत हो जाये ..अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकुछ तो यादगार होती हैं
जवाब देंहटाएंभुला दिया जाता कुछ को |
कभी अच्छी लगती हैं
आघात कभी दे जाती हैं
यदि बहुत विचार किया
मन चंचल कर जाती हैं |
अंत जीवन का हो
या कहानी का
जब भी लिखा जाए
अधूरा ही रह जाता है |
कितना भी विचार कर
लिखा जाए
आगे और भी
लिखा जा सकता है |
इसी लिए लगता है
हर कहानी चाहे जैसे लिखी जाए
उसके आगे और भी
लिखा जा सकता है |
bahut acchi rachna
बहुत सार्थक और सुन्दर रचना..आभार
जवाब देंहटाएंहर कहानी के अंत के बाद का सिलसिला...बहुत सुंदर..
जवाब देंहटाएं