24 जून, 2011

कैसे तुझे भुलाऊँ


तू यहाँ रहे या वहाँ रहे

जहां चाहे वहाँ रहे

कभी रूठी रहे

या मन जाए

पर बहारों का पर्याय है तू

मीठी यादों का बहाव है तू |

चेहरे की मुस्कराहत

अठखेलियाँ करती अदाएं

अखियों की कोर सजाता काजल

लगा माथे पर प्यारा सा डिठोना

किसी की नजर ना लग जाए |

तेरी नन्हीं बाहों की पकड़

कसती जाती थी

जब भी बादल गरजते थे

दामिनी दमकती थी

वर्षा की पहली फुहार

तुझे भिगोना चाहती था |

आगे पीछे सारे दिन

मेरा पल्ला पकड़

इधर उधर तेरा घूमना

गोदी में आने की जिद करना

राह में हाथ फैला कर रुक जाना

बाहों में आते ही मुस्कराना

जाने कितनी सारी बातें हैं

दिन रात मन में रहती हैं

कैसे उन्हें भुलाऊँ

तू क्या जाने

तू क्या है मेरे लिए |

आशा

15 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी किसी पोस्ट की चर्चा होगी शनिवार (25-06-11 ) को नई-पिरानी हलचल पर..रुक जाएँ कुछ पल पर ...! |कृपया पधारें और अपने विचारों से हमें अनुग्रहित करें...!!

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  2. आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (25.06.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
    चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

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  3. गहन अनुभूतियों की सुन्दर अभिव्यक्ति ...
    हार्दिक बधाई...

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  4. इधर उधर तेरा घूमना

    गोदी में आने की जिद करना

    राह में हाथ फैला कर रुक जाना

    बाहों में आते ही मुस्कराना


    खूबसूरत यादों को समेटे सुंदर कविता

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  5. बहुत प्यारी रचना ..कोमल भाव से भरी हुई

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  6. कोमल भाव से भरी हुई सुन्दर अभिव्यक्ति|

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  7. badi hi sundar kavita hain
    आगे पीछे सारे दिन

    मेरा पल्ला पकड़

    इधर उधर तेरा घूमना

    गोदी में आने की जिद करना

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  8. वात्सल्य एवं ममत्व से परिपूर्ण बहुत ही प्यारी रचना ! बधाई एवं शुभकामनाएं !

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  9. आगे पीछे सारे दिन

    मेरा पल्ला पकड़

    इधर उधर तेरा घूमना

    गोदी में आने की जिद करना
    वात्सल्य एवं ममत्व से परिपूर्ण बहुत ही प्यारी व सुन्दर अभिव्यक्ति ...

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  10. बहारों का पर्याय है तू
    मीठी यादों का बहाव है तू |
    bachchon ki yaad to aise hi meethee hoti hai.bahot khoobsurat likha hai.

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