घने वृक्षों के झुरमुट में
शाम ढले एकांत में
रोज मिला करते थे
कुछ अपनी कहते
कुछ उसकी सुनते थे |
जाने कितने वादे होते थे
वह इकरार हमेशा करती थी
बहुत अधिक चाहती थी
कहती रहती थी अक्सर
तुम यदि चले गए
नितांत अकेली हो जाउंगी
फिर किस के लिए जियूंगी
किसकी हो कर रहूंगी |
काफी समय बीत गया
यही सिलसिला चलता रहा
अब व्यवधान आने लगे
रोज होती मुलाकातों में
कुछ बदलाव भी नजर आया
उसकी चंचल चितवन में |
जब भी जानना चाहा
वह टाल गयी
मुस्कुराई नज़र झुकाई
बात आई गयी हो गयी |
जो आग दिल में लगी
क्या मन में उसके भी थी
क्या वह भी सोचती थी ऐसा
वह सोचता ही रह गया
वह तो चली गयी
किसी और की हो गयी
देख कर बेवफाई उसकी
ग़मगीन विचारों में लींन
वह अकेला ही रह गया |
आशा
शाम ढले एकांत में
रोज मिला करते थे
कुछ अपनी कहते
कुछ उसकी सुनते थे |
जाने कितने वादे होते थे
वह इकरार हमेशा करती थी
बहुत अधिक चाहती थी
कहती रहती थी अक्सर
तुम यदि चले गए
नितांत अकेली हो जाउंगी
फिर किस के लिए जियूंगी
किसकी हो कर रहूंगी |
काफी समय बीत गया
यही सिलसिला चलता रहा
अब व्यवधान आने लगे
रोज होती मुलाकातों में
कुछ बदलाव भी नजर आया
उसकी चंचल चितवन में |
जब भी जानना चाहा
वह टाल गयी
मुस्कुराई नज़र झुकाई
बात आई गयी हो गयी |
जो आग दिल में लगी
क्या मन में उसके भी थी
क्या वह भी सोचती थी ऐसा
वह सोचता ही रह गया
वह तो चली गयी
किसी और की हो गयी
देख कर बेवफाई उसकी
ग़मगीन विचारों में लींन
वह अकेला ही रह गया |
आशा
वाह बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंइस रचना में तो जीवन का दर्शन निहित है!
bahut hi achchi lagi....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिवयक्ति...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर....
जवाब देंहटाएंप्राय: जीवन में प्रेम की यही परिणति होती है ! जीवन के निर्मम सत्य से रू ब रू कराती बेहतरीन रचना ! बधाई एवं शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएं"काफी समय बीत गया
जवाब देंहटाएंयही सिलसिला चलता रहा
अब व्यवधान आने लगे
रोज होती मुलाकातों में
कुछ बदलाव भी नजर आया
उसकी चंचल चितवन में |
जब भी जानना चाहा
वह टाल गयी".... बेहतरीन अभिवयक्ति...
मन कि स्थितियां बदलती रहती हैं ... इंसान कि सोच बदल जाती है .. अच्छी अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंखूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
बेहतरीन अभिवयक्ति...
जवाब देंहटाएंमैंने अपनी मम्मी की किताब अमृत मन्थन में संचित बाल उपयोगी कविताओं को 'अमृत कलश 'ब्लॉग में आप तक पहुंचाने का यत्न शुरू किया है |कृपया यहाँ आकार इस कार्य में सहयोग करें बहुतआभार
जवाब देंहटाएंआशा
मुस्कुराई नज़र झुकाई
जवाब देंहटाएंबात आई गयी हो गयी |
जो आग दिल में लगी
क्या मन में उसके भी थी
क्या वह भी सोचती थी ऐसा
वह सोचता ही रह गया
वह तो चली गयी
किसी और की हो गयी
देख कर बेवफाई उसकी
ग़मगीन विचारों में लींन
वह अकेला ही रह गया |
बहुत सुंदर....अभिव्यक्ति.
जीजी, मम्मी के ब्लॉग 'अमृत कलश' पर पहुँचने के लिये नीचे लिखा लिंक है ! आप अपनी पोस्ट के नीचे भी इसे देकर पाठकों के लिये उपलब्ध करा सकती हैं ! इसे कॉपी पेस्ट कर लीजियेगा !
जवाब देंहटाएंhttp://amritkalash-asha.blogspot.com/
bahut sundar abhi vyaktiyan.
जवाब देंहटाएंmere blog me bhi padharen.
विचारों का अद्भुत आरोह और अवरोह| सुंदर प्रस्तुति दीदी|
जवाब देंहटाएंघनाक्षरी समापन पोस्ट - १० कवि, २३ भाषा-बोली, २५ छन्द