जीवन की आपाधापी मे
अभ्यस्त नजर आते
मनोभाव छिपाने में
आवरण से ढके
सत्य स्वीकारते नहीं
झूट हजारों के
सत्य स्वीकारते नहीं
हर वार से बचना चाहते
ढाल साथ रखते
व्यंग वाणों से बचने के लिए
सीधे बने रहने के लिए
यह तक भूल जाते
है आवरण बहुत झीना
जाने कब हट जाए
हवा के किसी झोंके से
कितना क्या प्रभाव होगा
जब बेनकाब चेहरा होगा
सोचना नहीं चाहते
बस यूं ही जिये जाते
अनावृत होते ही
जो कुछ भी दिखाई देगा
होगी फिर जो प्रतिक्रया
वह कैसे सहन होगी
है वर्तमान की सारी महिमा
कल को किसने देखा है
बस यही है अवधारणा
मनोभाव छिपाने की |
आशा
सत्य स्वीकारते नहीं
हर वार से बचना चाहते
ढाल साथ रखते
व्यंग वाणों से बचने के लिए
सीधे बने रहने के लिए
यह तक भूल जाते
है आवरण बहुत झीना
जाने कब हट जाए
हवा के किसी झोंके से
कितना क्या प्रभाव होगा
जब बेनकाब चेहरा होगा
सोचना नहीं चाहते
बस यूं ही जिये जाते
अनावृत होते ही
जो कुछ भी दिखाई देगा
होगी फिर जो प्रतिक्रया
वह कैसे सहन होगी
है वर्तमान की सारी महिमा
कल को किसने देखा है
बस यही है अवधारणा
मनोभाव छिपाने की |
है वर्तमान की सारी महिमा
जवाब देंहटाएंकल को किसने देखा है
सुन्दर भाव... बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आभार...
बहुत खूब आंटी
जवाब देंहटाएंसादर
बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आभार|सादर|
जवाब देंहटाएंbahut sunder sateek prastuti.
जवाब देंहटाएंहै वर्तमान की सारी महिमा
जवाब देंहटाएंकल को किसने देखा है
बस यही है अवधारणा
मनोभाव छिपाने की |
बहुत ही सटीक और बेहतरीन अभिव्यक्ति....
बहुत ख़ूबसूरत और सटीक प्रस्तुति...आभार
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...............
जवाब देंहटाएंजब तक धक जाये धक जाये..........
सादर.
वाह!!!!!बहुत सुंदर रचना,क्या बात है,बेहतरीन भाव अभिव्यक्ति,
जवाब देंहटाएंMY RESENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,
सुन्दर अवधारणा !
जवाब देंहटाएंavdharana achchhi lagi di:)
जवाब देंहटाएंबस यही है अवधारणा मानोभावना छुपाने की ....वाह बहुत खूब बेहतरीन भवाव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबेनकाब चेहरों की वीभत्सता जब उजागर होती है तो वह अनावृत होने वाले और जो उसे अनावृत होते हुए देखते हैं सभी के लिए शर्मिंदगी का कारण बन जाती है इसीलिये दोनों के बीच झीने आवरण का एक पर्दा बना रहे वही अच्छा है ! बहुत सुन्दर रचना ! बधाई एवं शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएं...आवरण बहुत झीना
जवाब देंहटाएंजाने कब हट जाए
हवा के किसी झोंके से
कितना क्या प्रभाव होगा
जब बेनकाब चेहरा होगा....
गहनता से बुने भाव... सुंदर रचना...
सादर।
है वर्तमान की सारी महिमा
जवाब देंहटाएंकल को किसने देखा है
बस यही है अवधारणा
मनोभाव छिपाने की |
वर्तमान में जीना ही सही है. गंभीर भाव की रचना. बधाई एवं शुभकामनायें.
गहरे भाव , ... बधाईयाँ
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...
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