25 जुलाई, 2012

आदत सी हो गयी है

कुछ बड़े कुछ छोटे छोटे 
 समेटे हुए बहुत कुछ
 कल आज या भविष्य की 
या कल्पना जगत की 
 कुछ कहते कुछ छिपा जाते 
रंगीन या श्वेत श्याम
 चित्रों से सजाए जाते 
 विश्वसनीय दिखाई देते
 पर सारे सच भी नहीं होते
 होते स्वतंत्र विचारों के पक्षघर
 फिर भी प्रभावित किसी न किसी
से कुछ उपयोगी कुछ अनुपयोगी
 सामिग्री परोसते सजा कर
 विभिन्न कौनों में तस्वीरें भी लुभातीं
 बहुत कुछ कहना चाहतीं 
आदत सी हो गयी है
 सर्व प्रथम प्रातः
 उसे हाथ में थामने की 
 उससे चिपके रहने की
 सरसरी नजर से उसे टटोलने की
 यदि किसी दिन ना मिल पाए
 चाय में चीनी भी कम लगती 
 आदत जो पड़ गयी है
 हाथ में कप चाय का ले
 सुबह अखबार पढने की |

17 टिप्‍पणियां:

  1. आदत सी हो गयी है...

    सुन्दर अभिब्यक्ति.

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  2. सच है कुछ आदत हम बदल नही सकते...

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  3. सर्व प्रथम प्रातः
    उसे हाथ में थामने की
    उससे चिपके रहने की
    सरसरी नजर से उसे टटोलने की
    यदि किसी दिन ना मिल पाए
    चाय में चीनी भी कम लगती
    आदत जो पड़ गयी है
    हाथ में कप चाय का ले
    सुबह अखबार पढने की |
    आदरणीया आशा जी बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति ...अच्छी रचना ..अब आज ये साथी है जरुरत है
    भ्रमर ५
    भ्रमर का दर्द और दर्पण

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  4. ज़माना बदल जाता है ...आदतें नहीं बदलतीं...

    अनु

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  5. चाय में चीनी भी कम लगती
    आदत जो पड़ गयी है
    हाथ में कप चाय का ले
    सुबह अखबार पढने की |bahut sunder....

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  6. कुछ आदते कभी नहीं जाती
    बहुत सुन्दर:-)

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  7. कुछ आदतें जीवन का हिस्सा बन जाती हैं... सुन्दर प्रस्तुति...

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  8. बहुत सुंदरता से कही बात ...ये तो अच्छी आदत है ...!!
    शुभकामनायें...!!

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  9. बहुत सुन्दर आदत सी हो गई और यह आदत बहुत अच्छी भी है ....बहुत अच्छी प्रस्तुति

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  10. आदत जो पड़ गयी है
    हाथ में कप चाय का ले
    सुबह अखबार पढने की |

    जब भी दिल से लिखा जाता है तो ऐसी ही रचना बन जाती है.मै सिर्फ इतना ही लिख रहा हूँ ,की इसके लिए कुछ अलफ़ाज़ नही हैं की क्या लिखूं ?



    मोहब्बत नामा
    मास्टर्स टेक टिप्स

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  11. बहुत बढ़िया प्रस्तुति ! यह आदत तो हमें भी हो गयी है ! जब तक एक हाथ में अखबार ना हो दूसरा हाथ चाय का कप उठाने से इनकार करता सा लगता है ! बहुत सुन्दर रचना ! मज़ा आ गया !

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  12. यही एक ऐसी आदत है जो लगने पे छूटनी बहुत मुश्किल होती है ...

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