रात कितनी भी स्याह क्यूँ न हो
चाँद की उजास कम नहीं होती
प्यार कितना भी कम से कमतर हो
उसकी मिठास कम नहीं होती
कितना प्यार किया तुझको
यह तक नहीं जता पाया
तेरे वादों पर ऐतवार किया
जब भी चाह ने करवट ली
चाँद बहुत दूर नजर आया
यही बात मुझे सालती है
आखिर मैंने क्यूँ प्यार किया
वादों पर क्यूँ ऐतवार किया
कहीं कमीं प्यार में तो नहीं
जो तू इतना बदल गयी
तनिक भी होती ऊष्मा
यदि हमारे प्यार में
तू भी उसे महसूस करती
यह दिन नहीं देखना पड़ता
प्यार से भरोसा न उठता |
आशा
बहुत ही खुबसूरत भाव ,बढ़िया प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की शुभकामनायें
कोमल भावों से परिपूर्ण सुन्दर रचना ! गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत भावाभिव्यक्ति ,गणतंत्र दिवस की शुभ कामनाएं
जवाब देंहटाएंदेश के 64वें गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएं--
आपकी पोस्ट के लिंक की चर्चा कल रविवार (27-01-2013) के चर्चा मंच-1137 (सोन चिरैया अब कहाँ है…?) पर भी होगी!
सूचनार्थ... सादर!
''प्यार कितना भी कम से कमतर हो
जवाब देंहटाएंउसकी मिठास कम नही होती...
अत्यन्त सुन्दर!
गणतन्त्र दिवस की आपको हार्दिक शुभकामनाएं.
-विन्दु
बहुत सुंदर भावअभिव्यक्ति,,,
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,
recent post: गुलामी का असर,,,
बहुत बढ़िया...गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,
जवाब देंहटाएंप्यार से भरोसा न उठता |
जवाब देंहटाएंkya bat hai sundar..
...यह तक नहीं जता पाया
जवाब देंहटाएंन जाने क्यूँ आज आपकी यह रचना पढ़कर वो एक पुराना गीत याद आया कसमें वादे प्यार वफ़ा सब बातें हैं बातों का क्या ....लेकिन सच तो वही है जो आपने लिखा
जवाब देंहटाएं"रात कितनी भी स्याह क्यूँ न हो चाँद की उजास कम नहीं होती प्यार कितना भी कम से कमतर हो उसकी मिठास कम नहीं होती"
बहुत ही सुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंTamasha-E-Zindagi
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