अपने पास रखा है
एक छोटे से कमरे में
उन्हें छिपा रखा है
|जब भी वे चमकें
रौशनी करें
केवल मेरे ही लिए हो
किसी और का सांझा न हो
सांझा चूल्हा मुझे नहीं भाता
मन अशांत कर जाता
मन अशांत कर जाता
तभी तो एकाकीपन मैंने
सम्हाल कर रखा
बड़े यत्न
से
सदुपयोग उसका किया
एकांत पलों को भी जीना
सीख लिया है
अब परिवर्तन नहीं चाहती
एकांत का महत्त्व जान गयी
अपूर्व शान्ति पाते ही
कुछ सोच उभरते हैं
जिनके अपने मतलब होते हैं
यह अदभुद प्रयास
है नमूना एक
सार्थक जीवन जीने का |
सुंदर रचना के लिए आपको बधाई
जवाब देंहटाएंविरले ही कमरे में बंद इन जुगनुओं से पर्याप्त रोशनी पा लेते हैं ! खूबसूरत अहसासों से सजी सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंअहसासों से सजी लाजबाब अभिव्यक्ति,,,
जवाब देंहटाएं! RECENT POST शहीदों की याद में,
सुन्दर अहसास..
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना...
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत अहसास..जीने के लिए एकांत को साथी बनाना ही पड़ता है..
जवाब देंहटाएंएकाकीपन की एक अद्भुत एहसास -सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंNew post बिल पास हो गया
New postअनुभूति : चाल,चलन,चरित्र
वाह!
जवाब देंहटाएंआपकी यह प्रविष्टि कल दिनांक 04-02-2013 को चर्चामंच-1145 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
जुगनू इकट्ठे कर रोशनी की कल्पना सुन्दर है और विलक्षण भी !
जवाब देंहटाएंप्रभावी प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आदरेया ||
विचार और भाव का सशक्त सम्प्रेषण .स्वकेंद्रित आत्म मोह की सशक्त अभिव्यक्ति .हमारे वक्त की एक प्रासंगिक रचना .
जवाब देंहटाएंkhubsurat ehsas
जवाब देंहटाएंलाजबाब अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंआपको बधाई