18 मार्च, 2013

होली न सुहाय



ना कर जोरा जोरी सांवरे
छोटा लालन रोवत है
भए लाल गाल गुलाल से
नन्हां देवरिया डरपत है |
मैं तेरे रंग में रंगी
भीगी चूनर सारी
फिर काहे की जोरा जोरी
ना कर मुझ से बरजोरी |
जाड़ा लगत
तन थर थर कांपत
मैं रंग में ऐसी रंगी
गहरे रंग छूटत नाहीं  |
है प्यार भरी अनुनय मेरी
 छींटे ही नीके लागत  हैं
ऐसी होली मोहे ना भावे
तेरा रंग ही काफी है |
तेरा रंग चढा ऐसा
बाकी रंग लागत फीके
उस के आगे कछु न भाए
मोहे  ऐसी होली न सुहाय |
आशा

9 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति मंगलवारीय चर्चा मंच पर ।।

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  2. मैं रंग में ऐसी रंगी
    गहरे रंग छूटत नाहीं....
    ----------------
    ati sundar..

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  3. प्रिय का प्यार का रंग सबसे पक्का रंग
    सुंदर प्रस्तुति ....आभार

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  4. बहुत सुंदर .बेह्तरीन अभिव्यक्ति.शुभकामनायें.

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  5. प्रेम के सुंदर रंगो में रंगी रचना ,
    साभार...........

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  6. प्रीत का रंग पक्का बाकी रंग फीके... बहुत सुन्दर रचना... आभार

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  7. होली के मान मनौव्वल और बरजोरी के रंग में रंगी बहुत सुंदर प्रस्तुति ! मज़ा आ गया !

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