अस्थि मज्जा से बना यह पिंजर
प्राण वायु से सिंचित
दीखता सहज सुन्दर
आकृष्ट सभी को करता |
पर कितना असहाय क्षणभंगुर
कष्टों को सह नहीं पाता
तिल तिल मिटता
बेकल रहता तिलामिलाता
किरच किरच बिखरता शीशे सा
यहीं निवास अक्षय आत्मा का
है आभास उसे
पिंजर के स्वभाव का |
पिंजर के स्वभाव का |
ओढ़े रहती अभेद्य कवच
कभी क्षय नहीं होती
एक से अलग होते ही
दूसते घर की तलाश करती
अपना स्वत्व मिटने न देती |
है कितना आश्चर्य
पिंजर नश्वर पर वह नहीं
होते ही मुक्त उससे
समस्त ऊर्जा समेत
उन्मुक्त पवन सी
अनंत में विचरण करती
सदा सोम्य बनी रहती |
जैसे ही तलाश पूर्ण होती
पिछला सब कुछ भूल
नवीन कलेवर धारण करती
नई डगर पर चल देती |
आशा
बढियां रचना. वेदांत के भाव को आपने प्रभावशाली रूप में व्यक्त किया है.
जवाब देंहटाएं-अभिजित (Reflections)
टिप्पणी हेतु आभार |
हटाएंआशा
आज ०४/०६/२०१३ को आपकी यह पोस्ट ब्लॉग बुलेटिन - काला दिवस पर लिंक की गयी हैं | आपके सुझावों का स्वागत है | धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली रचना
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद |
हटाएंसुन्दर उदगार
जवाब देंहटाएंस्वास्थ्य ठीक न होने के कारण बहुत समय बाद ब्लॉग पर आई हूँ |टिप्पणी हेतु आभार |
हटाएंआशा
नश्वर शरीर में अजर अमर आत्मा निवास करती है और यह अशरीरी आत्मा उन्मुक्त होती है कहीं भी विचरण करने के लिये ! इस सत्य को बड़ी खूबी से अभिव्यक्त किया है अपनी रचना में ! दर्शन तत्व से भरपूर बहुत ही अच्छी रचना !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रभावी रचना ,,,
जवाब देंहटाएंrecent post : ऐसी गजल गाता नही,
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (05-06-2013) के "योगदान" चर्चा मंचःअंक-1266 पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मैं तबियत ठीक न होने के कारण बहुत समय बाद ब्लॉग पर आपई हूँ | टिप्पणी हेतु आभार |
हटाएंशारीर और आत्मा ,एक पिंजड़ा है तो दूसरी पंछी है - सुन्दर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंlatest post मंत्री बनू मैं
LATEST POSTअनुभूति : विविधा ३
जीवन-दर्शन की काव्यमय अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएं........प्रभावशाली रचना
जवाब देंहटाएंजरूरी कार्यो के ब्लॉगजगत से दूर था
आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ
पंजर-कफस से मुक्ति के बाद नवजीवन तक की सुन्दर अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना।
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु आभार |
जवाब देंहटाएंआशा
जैसे ही तलाश पूर्ण होती
जवाब देंहटाएंपिछला सब कुछ भूल
नवीन कलेवर धारण करती
नई डगर पर चल देती-------
गहन अनुभूति
उत्कृष्ट प्रस्तुति
सादर
आग्रह है
गुलमोहर------
जैसे ही तलाश पूर्ण होती
जवाब देंहटाएंपिछला सब कुछ भूल
नवीन कलेवर धारण करती
नई डगर पर चल देती-------
गहन अनुभूति
उत्कृष्ट प्रस्तुति
सादर
आग्रह है
गुलमोहर------
खरे जी टिप्पणी हेतु धन्यवाद |
हटाएंआशा