27 दिसंबर, 2013

हाइकू (४)

(१)
फूल भ्रमर 
प्यार का इज़हार
या उपकार |
------
उपकार का
यदि सिलसीला  हो
 कृपण न हो
 (२)
आँखे बरसीं
पहली बारिश सी 
सूखा न रहा |
-----
रहा अधूरा 
जीवन तेरे बिन 
सूना ही रहा 
(३)
सूना जीवन 
बेरंग तेरे बिना
कुछ भाए ना |
------
भाए ना यह 
रंग भरी ठिठोली 
तुम आजाना |
(4)
बिखरी यादें
समेटने की चाह
है गलत क्या|
 ---
क्या बिगड़ता
यदि समझी होती
मन की बात |
(५)
कठिन राह
पहुँच न पाऊंगा
हो चाँद तुम |
(५)
बहती जाती  
नौका मझधार में  
हो पार कैसे |
बहता जल
है तरंगित मन
हरीतिमा सा |
आशा


17 टिप्‍पणियां:

  1. खुबसूरत !
    हाइकू औ हाईगा !
    सखी / वाह वा :)

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. टिप्पणी हेतु धन्यवाद |आपका मेरे ब्लॉग पर स्वागत है |

      हटाएं
  2. बहुत ही सुंदर एवँ सार्थक हाईकू एवँ हाईगा ! मन प्रसन्न कर दिया आपने ! मेरी बधाई स्वीकार करें !

    जवाब देंहटाएं
  3. लाजवाब ....सुन्दर प्रस्तुति...!

    जवाब देंहटाएं

Your reply here: