30 जनवरी, 2014

यह क्या ?


यह क्या कहा
कैसा सदमा लगा
मैं भूली ना |

लिखी किस्मत
 न विधाता ने मेरी
भूल किसकी |

सेतु बंधन 
एक सरिता पर 
दो कूल मिले |

लगता दाग 
दामन भविष्य का 
है दाग दार |

आसमान में
काले भूरे बादल
बरसे झूम |

अश्रु झरते
अधर हुए शुष्क
भीगी पलकें |

दुखित मन
हाल देखा देश का
कोई न हल |

जला अलाव
एहसास गर्मीं का
बचा सर्दी से |

आशा

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (31-01-2014) को "कैसे नवअंकुर उपजाऊँ..?" (चर्चा मंच-1508) पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. मन के विविध भावों को दर्शाते बहुत सुन्दर हाइकू ! बहुत बढ़िया !

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  3. आपकी इस प्रस्तुति को आज की राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 66 वीं पुण्यतिथि और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  4. धन्यवाद आपका बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय

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