10 फ़रवरी, 2014

हसीन पल



-ए हसीन  पल तनिक ठहरो
मैं हूँ वही
तुम्हारा एक हिस्सा
यही  अनुभव करने दो |
शायद सच में
यह ना हो संभव
मुझे भ्रम में ही
 जी लेने दो |
चाहती हूँ
उस पल को जीना
उसमें ही खोए रहना
फिर कोई  भी समस्या आए
दूरी उससे हो पाएगी |
तुम्हारी यादों का
सहारा लिए
जिन्दगी सरल हो जाएगी
तब मुझमें जो
विश्वास जागेगा
काया पलत जाएगी |
ए हसीन  पल
यदि तुमने
साथ दिया मेरा
जिन्दगी सवार जाएगी |
आशा

13 टिप्‍पणियां:

  1. ए हसीन पल तनिक ठहरो......wah,bahut sunder......

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (11-02-2014) को "साथी व्यस्त हैं तो क्या हुआ?" (चर्चा मंच-1520) पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    बसंतपंचमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. बहुत ही सुन्दर और उत्कृष्ट प्रस्तुति

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  4. बहुत बढ़िया और सुंदर ! इसी तरह लिखती रहिये और ढेर सारे हसीं पलों को समेटती रहिये !

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