-ए हसीन पल तनिक ठहरो
मैं हूँ वही
तुम्हारा एक हिस्सा
यही अनुभव करने दो |
शायद सच में
यह ना हो संभव
मुझे भ्रम में ही
जी लेने दो |
चाहती हूँ
उस पल को जीना
उसमें ही खोए रहना
फिर कोई भी समस्या आए
दूरी उससे हो पाएगी |
तुम्हारी यादों का
सहारा लिए
जिन्दगी सरल हो जाएगी
तब मुझमें जो
विश्वास जागेगा
काया पलत जाएगी |
ए हसीन पल
यदि तुमने
साथ दिया मेरा
जिन्दगी सवार जाएगी |
आशा
ए हसीन पल तनिक ठहरो......wah,bahut sunder......
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मृदुला जी
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (11-02-2014) को "साथी व्यस्त हैं तो क्या हुआ?" (चर्चा मंच-1520) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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बसंतपंचमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सूचना हेतु धन्यवाद सर |
हटाएंबहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद |
हटाएंलाजबाब,बेहतरीन प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंRECENT POST -: पिता
धन्यवाद
हटाएंबहुत ही सुन्दर और उत्कृष्ट प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद |
हटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया और सुंदर ! इसी तरह लिखती रहिये और ढेर सारे हसीं पलों को समेटती रहिये !
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