19 जुलाई, 2014

मेरा देश

(१)
स्वर्ण चिड़िया
था कहलाता कभी
भारत मेरा
है बदहाल आज
वही जीवन यहाँ |
(२)
हुआ स्वाधीन
परतंत्र नहीं है
देश है  मेरा
फिर भी बदहाल
यहाँ जिंदगी आज |
(३)
हैं नौनिहाल
देश के कर्णधार
 भविष्य दृष्टा
आशा जुड़ी उनसे
सब को बेशुमार |
(४)
हर वर्ष सा
झंडा वंदन किया
मिठाई बटी
तिरंगा फहराया
पर मन उदास  |
सधन्यवाद
आशा लता सक्सेना

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