बहुत रोया जब जन्म लिया
माँ
की गोद में सोया
सब की बाहों में झूला
लगा खुशियों का मेला |
बचपन कब बीता याद नहीं
पर इतना अवश्य याद रहा
वह जीवन सीधा साधा था
चिंताओं से बहुत दूर था |
चिंताओं से बहुत दूर था |
हुआ किशोर मस्ती में जिया
मित्रों का प्रभाव अधिक हुआ
आगे क्या होगा न सोच सका
भावना प्रधान होता गया |
भावना प्रधान होता गया |
यौवन ने दी दस्तक जब
एक से दो और दो से चार हुए
जिंदगी ढोना सीख लिया
जाने कब योवन बीत गया |
कब ज़रा ने घेरा दबे पाँव आकर
एहसास न हो पाया
अब है उसी से याराना
आगे क्या होगा क्यूं सोचूँ|
पर हूँ उत्सुक जानने को
जिंदगी इतनी कट गई
बहुत बुरी भी न रही
आगे न जाने क्या होगा |
बहुत बुरी भी न रही
आगे न जाने क्या होगा |
आशा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Your reply here: