तिनका तिनका जोड़
बनाया था आशियाँ
सारी तमन्नाओं का
मूर्त रूप गरीब खाना |
पलक झपकते ही
भयावह हादसा हुआ
सैलाव ऐसा था की
जल मग्न आशियाँ हुआ |
जल मग्न आशियाँ हुआ |
सारी यादें बह गईं
बचपन
से आज तक
दो गज जमीन भी न बची
सर छिपाने को वहां |
जल ही जल यहाँ वहां
हूँ कहाँ किस हाल में
यह भी न समझ पाता
कुछ भी न नजर आता |
रह गया है गम
घर से ,अपनों से,
सब से बिछुड़ने का
समस्याओं से जूझने का |
दूर
सभी स्वप्नों से
स्वप्नों की जन्नत से
होगा वर्तमान इतना भयावह
कभी सोचा न था |
कभी सोचा न था |
लगता नहीं इस जीवन में
फिर से बहार आएगी
सारे दुःख भूल कर
जीवन गाड़ी चल पाएगी |
आशा
आशा
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