है तू कुशल चितेरा
कई रंग भरता सृष्टि में
जो आँखों को रास आते
हंसते हंसते रुला जाते |
न जाने क्यूं बहुत खोजा
कोई रंग तो ऐसा हो
जो उससे मेल न खाता हो
उस में ही घुल जाता हो |
उस में ही घुल जाता हो |
पर एक भी ऐसा न मिला
प्रयत्न आज भी है अधूरा
यह तेरी कूची का कमाल
या संयोजन बेमिसाल |
हर रंग है कुछ ख़ास
दीवाना बना जाता
एक ही धुन लग जाती
सब में तू ही नजर आता |
दीवाना बना जाता
एक ही धुन लग जाती
सब में तू ही नजर आता |
कभी एहसास नहीं होता
कोई कमी रही है शेष
सब ऐसे घुल मिल गए है
सृष्टि रंगीन कर गए हैं |
यही चाहत रहती हर पल
इन रंगीन लम्हों को जियूं
तेरी अदभुद कृतियों को
अंतस में सहेज कर रखूँ |
है तू कुशल चितेरा
मन पर छा गया है
दिल् चाहता है
क्यूँ न तेरी आराधना करूं
तुझ में ही समा जाऊं
कभी दूर न रहूँ |
अंतस में सहेज कर रखूँ |
है तू कुशल चितेरा
मन पर छा गया है
दिल् चाहता है
क्यूँ न तेरी आराधना करूं
तुझ में ही समा जाऊं
कभी दूर न रहूँ |
आशा
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