माई री माई
है ढीठ कन्हाई
फोड़ी दधि मटकी
धरती पर पटकी
की झूमाझटकी
यही बात खटकी
यूं बहियाँ मरोड़ी
की जोराजोरी
तब चुनरी सरकी
राधा के सर की
सावला कन्हिया
बंसी का बजैया
लगता है रसिया
वृन्दावन बसिया
गोरी सी राधा
जिस पर दिल वारा
उससे ही हारा
लाल यशोदा का |
आशा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Your reply here: