ना ही झूठे वादों की 
रीत जगत की जानी 
चलती रहती मनमानी 
गीत मधुर तूने गाया 
यूं ही नहीं सब ने सराहा 
सुनते ही मन भर आया 
तूने पुरूस्कार पाया 
अभिलाषा थी मेरी  
तू ही तू शिखर पर हो 
आज इच्छा पूर्ण हुई 
प्रार्थना  स्वीकार हुई 
ना छीना अधिकार किसी का 
सच में तूने जीना जाना 
पारदर्शिता के चलते 
जो स्थान तूने पाया 
मेरी धारणा झुटलादी 
कुछ पाने के लिए 
छीनना नहीं आवश्यक 
मनमानी हर जगझ नहीं होती 
गुणवत्ता भी जरूरी होती |
आशा 


