08 मार्च, 2015

कितना कठिन


कितना कठिन 
गुत्थी सुलझाना
सुलझाने का
 मार्ग खोजना
जिस पर चल
 निष्कर्ष खोजना
आत्मसात फिर
 उस को करना
हैं सभी दूर
 एक आम आदमीं से
 हैं कल्पना मात्र
जो स्वप्नों में ही देते साथ
चन्द लोगों की बपोती
 हैं सब सुख आज
जीवन भार हुआ आज
तभी आत्महत्या के
 होते अक्सर प्रयास
पर वे  सब भी
 बिफल होते आज
गुत्थी ना कल सुलझी 
 और ना ही सुलझ पाएगी
आशा

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