15 मई, 2015

प्यास न बुझी

 

.कारे बदरा
जल के संचायक
बरस जाते |

आसमान में
घर समझ लिया
बदरवा ने |

जलाभिषेक
करने आ गए
 बादल काले |





मीत बावरा
अधीर होने लगा
न पा उसको |

धरती सूखी
जल के अभाव में
प्यास न बुझी |
आशा

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