
भ्रम बज्र का होता था 
   पर दिल मॉम का रखते थे 
कष्ट किसी का देख न पाते 
दुःख में सदा साथ होते थे |
छोटा सा पुरूस्कार हमें  मिलता  
उन्नत सर गर्व से उनका  होता था 
पर यदि हार मिलती  
एक कटु शब्द भी न कहते |
 कठोर बने रहते 
बाहर से नारियल से 
पर मन होता अन्दर से नर्म 
उसकी गिरी सा |
आज भी याद आती है 
जब उंगली पकड़ चलना सिखाया था
 गिरने
पर रोने न दिया था 
सर उठा चलना सिखाया था |
जब सामना कठिनाइयों का हुआ 
वही हौसला काम आया 
अपनी किसी असफलता पर 
कभी भी आंसू न बहाया |
वह छिपा प्यार दुलार 
 कभी व्यक्त यूं तो न किया  
कठिनाई में जब खुद को पाया 
संबल उनका ही पाया  |
अनुशासन कठोर सदा  रखा 
नियमों का पालन सिखाया 
तभी तो आज हम
हुए सफल जीवन में |
हुए सफल जीवन में |
आज जो भी हम हैं
उनके  कारण  ही बन  पाए 
सफलता की कुंजी जो मिली 
वही उसके जनक थे |
बिना  उनके  हम कुछ न बन  पाते 
पल पल में हर मुश्किल क्षण में 
वरद हस्त रहता था उनका
उन्हें हमारा शत शत नमन |
वरद हस्त रहता था उनका
उन्हें हमारा शत शत नमन |
आशा 
 
 
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