यह कैसा परिवर्तन
जान नहीं पाई
हैरान हूँ परेशान हूँ
हैरान हूँ परेशान हूँ
आज अचानक क्या हुआ
सब कुछ बदलने लगा
अपने ही घर में
महमान हो कर रह गई
कहने सुनने की
मनाही हो गई
मन के भाव किससे बांटूं
दिल की किससे कहूं
अब तो अपने भी
पराए हो गए
मुझे गैर को सोंपा
सहमति तक मेरी न जानी
फिर बार बार याद दिलाया
यह घर अब तुम्हारा नहीं
वहीं जीना वहीं मरना है
वही घर तुम्हारा है
यही बात मुझे खलती है
कचोटती है
इतने वर्ष जहां रही
वह अब कैसे अपना न रहा
जो कभी अपने थे
अब गैर कैसे हो गए
सात फेरे क्या हुए
रिश्ते ही बदल गए
अपने ही घर में
महमान हो कर रह गए |
आशा
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