03 दिसंबर, 2015

छलना


तू ही तू नजर आती है के लिए चित्र परिणाम

दृष्टि जहां तक जाती है
तू ही  नज़र आती है
पलकें बंद करते ही
तू मन में उतर जाती है
छवि है या कोई परी
जो आँख मिचौनी खेल रही
 दृष्टि से ओझल होते ही  
मन  अस्थिर कर रही
है ऐसा क्या तुझ में विशेष
जग सूना सूना लगता है
जब तू नहीं होती
जीना दूभर होता है
अब तो सुनिश्चित करना होगा
तू सच में है
 या कोई छलना  
या भ्रम मेरे मन का
बहुत हुई  लुका छिपी
मेरे पास अब समय नहीं
तुझे खोज कर लाने का
मनुहार में समय गवाने का
मैं यदि तुझसे रूठा
फिर लौट कर न आऊंगा
भ्रम मेरा टूट गया है 
है धरा मेरे नीचे
अब तुझे सोचना है
क्या करना है कैसे करना है
या अभी भी मुझे छलना है |
आशा

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