सांता क्यूं हो उदास आज
कुछ थके थके से हो
है यह प्रभाव मौसम का
या बढ़ती हुई उम्र का
अरे तुम्हारा थैला भी
पहले से छोटा है
मंहगाई के आलम में
क्या उपहारों का टोटा है
मनोभाव भी यहाँ
लोगों के बदलने लगे हैं
प्रेम प्यार दुलार सभी
धन से तुलने लगे हैं
मंहगाई का है यह प्रभाव
या हुआ आस्था का अभाव
न जाने कितने सवाल
मन में उठने लगे हैं
कहाँ गया वह प्रेमभाव
क्यूं बढ़ने लगा है अलगाव
भाई भाई से दूर हो रहे
अपने आप में सिमटने लगे
क्या तुम पर भी हुआ है वार
आज पनपते अलगाव का
या है केवल मन का भ्रम
या है मंहगाई का प्रभाव
पर मन बार बार कहता है
हैप्पी क्रिसमस मेरी क्रिसमस
आज के इस दौर में
खुशियाँ बांटे मनाएं क्रिसमस
आज के इस दौर में
खुशियाँ बांटे मनाएं क्रिसमस
इस कठिनाई के दौर में
तुम आये यही बहुत है
प्यारा सा तोहफा लाए
मेरे लिए यही अमूल्य है |
आशा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Your reply here: