23 दिसंबर, 2015

मन्त्र कितना सार्थक

अकेलापन के लिए चित्र परिणाम
भीड़ तंत्र ने मन्त्र दिया
खुद को अकेला कर लिया
कीचड़ में खिला कमल सा
यही उसने नुस्का दिया |


भीड़ में खोना नहीं है
तुम्हें अकेले ही जाना है
कोई साथ नहीं देता
यही किस्सा पुराना है |

समय व्यर्थ गवाया पहले
यहाँ वहां जाने आने में
पर प्यार कहीं ना पाया
जो पाया तुम्हारे  सान्निध्य में  |

तुम्हारे कदमों की आहट
जब भी  होती है
मैं जान जाती हूँ
तुम्हें पहचान जाती हूँ |

आती बयार की महक से
होता  अहसास तुम्हारा
गहरी उदासी कहीं
गुम हो ही जाती है |

मन्त्र  अकेले रहने का
अब डगमगाने लगा है
मन का निर्णय है
तुम्हारे साथ चलूँ |

यही बेचैनी मुझे
कमजोर कर रही है
भीड़ में अकेले रहना
सरल नहीं है |

तुम  मेरा जीवन हो
तुम्ही हो सहारा
हर सांस में तुम्ही तुम  हो
यह अब मैंने जाना |

इस भीड़ तंत्र से बच कर
मेरे पास आना
दिल में जगह रखना
 बहाना न बनाना |

आशा



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