ए चाँद तारों
मुझे भूल न जाना
अपने साथ
मुझे ले चलना
यूं ही मुझे
छोड़ न जाना
मैं उन सब से
मिलना चाहती हूँ
गगन के उस पार
है जिनका ठिकाना
शायद वहीं
मेरे अपने भी हों
जो हम सब से दूर हुए
यह दुनिया छोड़ गए
मेरी राह देखते हों
मिलने को बेचैन हों
मैं भी हूँ उत्सुक
जाना चाहती हूँ वहां
बहुतों को पहचानती हूँ
मैंने ठान लिया है
वहीं बनाऊँगी
अपना आशियाना
अपनों से बिछोहअब
सह न पाऊंगी |
आशा
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