वह तेरा ऐसा दीवाना हुआ
बिन तेरे दिल वीराना हुआ
वीराने में बहार आए कैसे
सोचने का एक बहाना हुआ |
२
चारो ओर छाया अन्धेरा ,उजाले की इक किरण ढूँढते हैं
गद्दारों से घिरे हुए हैं ,ईमान की इक झलक ढूंढते हैं
जो ईमान पर खरी उतारे ,ऐसी इक शख्शियत ढूँढते हैं
जिस दिन उससे रूबरू होंगे ,उस पल की तारीख ढूँढते हैं |
३
चारो ओर छाया अन्धेरा ,उजाले की इक किरण ढूँढते हैं
गद्दारों से घिरे हुए हैं ,ईमान की इक झलक ढूंढते हैं
जो ईमान पर खरी उतारे ,ऐसी इक शख्शियत ढूँढते हैं
जिस दिन उससे रूबरू होंगे ,उस पल की तारीख ढूँढते हैं |
३
कहाँ नहीं खोजा आपको आखिर आप कहाँ हैं
क्या लाभ असमय पहुँचाने का ,जताने का कि आप वहां हैं
अब तक कई लोग पहुंचगे होंगे ,किसा किस को जाने
कोई आए या न आए आपके बिना ,मन को सुकून कहाँ है |
४
है नटखट नखराली
चंचल चपल चकोरी
चाँद सी सूरत सहेजे
बारम्बार करती बरजोरी |
५
जाने कितने राज छिपे हैं इस दिल में
होने लगा आग़ाज अब जमाने में
कैसे दूरी रख पाओगे ए मेरे हमराज
छोड़ सारे काम काज उलझे रहोगे उनमें |
६
की ऊँठ की सबारी रेगिस्थान में
दूर तक था जल का अभाव मरुस्थल में
थी सिक्ता कणों की भरमार वहां
दूर दिखाई देती मारीचिका मरू भूमि में |
६
की ऊँठ की सबारी रेगिस्थान में
दूर तक था जल का अभाव मरुस्थल में
थी सिक्ता कणों की भरमार वहां
दूर दिखाई देती मारीचिका मरू भूमि में |
आशा
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